रामचरितमानस गीता प्रेस गोरखपुर PDF

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रामचरित मानस गीत पुस्तक
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रामचरितमानस गीता प्रेस गोरखपुर

रामचरितमानस” भारतीय साहित्य के महत्वपूर्ण ग्रंथों में से एक है, जिसे संत तुलसीदास ने लिखा था। यह ग्रंथ हिंदी भाषा में लिखा गया है और महाकाव्य के रूप में माना जाता है। रामचरितमानस का अवलम्बन वाल्मीकि रामायण है, जिसे संत तुलसीदास ने अपनी अपनी भावपूर्णता और धार्मिक दृष्टिकोण से पुनर्लेखा किया।

रामचरितमानस का अनुवाद “राम की कथा” का मतलब होता है, और यह ग्रंथ प्राचीन भारतीय समाज के धार्मिक और सांस्कृतिक आधारों पर आधारित है। इसमें भगवान राम के जीवन के विभिन्न पहलुओं, उनके प्रेरणादायक वचनों और क्रियाओं का वर्णन किया गया है। रामचरितमानस के अष्टकाव्य (आठ कथा समूह) हैं, जिनमें भगवान राम के जीवन की विभिन्न घटनाओं का वर्णन है। यह ग्रंथ हिंदू धर्म की महत्वपूर्ण कथाएं, सिद्धांतों, और नैतिकता को स्पष्ट करता है और लोगों को धार्मिक एवं नैतिक मार्गदर्शन प्रदान करता है।

रामचरितमानस चौपाई अर्थ सहित

धन-संपत्ति की प्राप्ति के लिए

जे सकाम नर सुनहिं जे गावहिं। सुख संपति नाना बिधि पावहिं॥

सुर दुर्लभ सुख करि जग माहीं। अंतकाल रघुपति पुर जाहीं॥

भावार्थ: जो मनुष्य श्री रामचरितमानस को सकाम भाव से सुनते और गाते हैं, उन्हें सांसारिक जीवन में अनेक प्रकार के सुख और संपत्ति प्राप्त होती है। वे देवताओं को भी दुर्लभ लगने वाले सुखों का अनुभव करते हैं और अंत में श्री रघुनाथजी के परमधाम को जाते हैं।

लक्ष्मी प्राप्ति के लिए

सुनि बोले गुर अति सुखु पाई। पुन्य पुरुष कहुँ महि सुख छाई॥

जिमि सरिता सागर महुँ जाहीं। जद्यपि ताहि कामना नाहीं॥

भावार्थ: इस चौपाई में तुलसीदास जी कहते हैं कि पुण्यात्मा पुरुष के लिए पृथ्वी सुखों से भरी हुई है। जैसे नदियाँ समुद्र में जाकर मिल जाती हैं, वैसे ही सुख भी पुण्यात्मा पुरुष के पास स्वयं ही आ जाते हैं। पुण्यात्मा पुरुष का जीवन सदा सुखमय होता है। उसके जीवन में कभी भी दुख, कष्ट या संकट नहीं आता है।

इस चौपाई में तुलसीदास जी ने एक सुंदर उपमा का प्रयोग किया है। उन्होंने नदियों और समुद्र की तुलना पुण्यात्मा पुरुष और सुखों की की है। नदियाँ समुद्र में जाकर मिल जाती हैं, लेकिन समुद्र को नदियों की कोई आवश्यकता नहीं होती है। ठीक उसी प्रकार, पुण्यात्मा पुरुष के पास सुखों की कोई कमी नहीं होती है, लेकिन वह उन सुखों का अहंकार नहीं करता है।

यह चौपाई हमें यह शिक्षा देती है कि हमें हमेशा पुण्य का मार्ग अपनाना चाहिए। पुण्य का मार्ग अपनाने से हमारा जीवन सुखमय हो जाता है।

प्रेम वृद्धि के लिए

दैहिक दैविक भौतिक तापा। राम राज नहिं काहुहि ब्यापा॥

सब नर करहिं परस्पर प्रीती। चलहिं स्वधर्म निरत श्रुति नीती॥

भावार्थ: रामराज्य में, सभी लोग खुशहाल और शांतिपूर्ण जीवन जीते हैं। वे एक-दूसरे से प्रेम करते हैं और एक-दूसरे की मदद करते हैं। वे धर्म का पालन करते हैं और सदाचारी जीवन जीते हैं।

इस पंक्ति में, तुलसीदास रामराज्य के आदर्शों का वर्णन कर रहे हैं। वे कहते हैं कि रामराज्य में, लोगों को किसी भी प्रकार का कष्ट नहीं होता है। वे शारीरिक, मानसिक और भौतिक रूप से स्वस्थ होते हैं। वे एक-दूसरे के प्रति प्रेम और करुणा रखते हैं। वे वेद-शास्त्रों में बताए गए नियमों का पालन करते हैं। रामराज्य का वर्णन एक आदर्श समाज का प्रतिनिधित्व करता है। यह एक ऐसा समाज है जहां सभी लोग खुशहाल और समृद्ध होते हैं। वे एक-दूसरे के साथ शांति और सद्भाव से रहते हैं। यह पंक्ति हमें यह भी सिखाती है कि यदि हम सभी धर्म और सदाचार का पालन करें, तो हम एक ऐसे आदर्श समाज का निर्माण कर सकते हैं जहां सभी लोग खुशहाल और शांतिपूर्ण जीवन जी सकें।

रामचरितमानस की चौपाइयों की महिमा

रामचरितमानस की चौपाइयों की महिमा अपरंपार है। इन चौपाइयों में मानव जीवन के सभी पहलुओं को समाहित किया गया है। ये चौपाइयां हमें जीवन जीने का सही तरीका सिखाती हैं। ये चौपाइयां हमें सत्य, न्याय, धर्म और कर्तव्य के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करती हैं।

रामचरितमानस की चौपाइयों में निम्नलिखित महिमाएं निहित हैं:

  • आध्यात्मिक महिमा (spiritual glory): रामचरितमानस की चौपाइयां हमें आध्यात्मिक जीवन जीने का मार्गदर्शन करती हैं। ये चौपाइयां हमें भगवान की भक्ति, मोक्ष की प्राप्ति और जीवन के उद्देश्य को समझने में मदद करती हैं।
  • सामाजिक महिमा (social glory): रामचरितमानस की चौपाइयां हमें सामाजिक जीवन जीने का मार्गदर्शन करती हैं। ये चौपाइयां हमें मानवीय मूल्यों, नैतिकता और कर्तव्यों को समझने में मदद करती हैं।
  • साहित्यिक महिमा (literary glory): रामचरितमानस की चौपाइयां अत्यंत सुंदर और भावपूर्ण हैं। इन चौपाइयों में तुलसीदास जी की भाषा और शैली का अद्भुत प्रयोग हुआ है।

रामचरितमानस की चौपाइयां हमारे जीवन में हर समय मार्गदर्शक का काम कर सकती हैं। इन चौपाइयों को पढ़कर और समझकर हम अपने जीवन को बेहतर बना सकते हैं।

रामचरितमानस की चौपाइयों का पाठ कैसे करें?

रामचरितमानस की चौपाइयों का पाठ करने के लिए निम्नलिखित चरणों का पालन करें:

  1. एक शांत और साफ स्थान चुनें। यह एक मंदिर, पूजा कक्ष या किसी अन्य स्थान पर हो सकता है जहां आप आराम से बैठ सकें और ध्यान केंद्रित कर सकें।
  2. अपने हाथों को धो लें और एक साफ कपड़ा बिछाएं। इस पर बैठें और अपनी आंखें बंद करें।
  3. अपने मन को शांत करने के लिए कुछ गहरी सांसें लें।
  4. रामचरितमानस की चौपाई को स्पष्ट और धीरे से पढ़ें। प्रत्येक शब्द और उच्चारण पर ध्यान दें।
  5. चौपाई का अर्थ समझने का प्रयास करें। इस पर मनन करें और इसके संदेश को अपने जीवन में कैसे लागू किया जा सकता है।
  6. प्रार्थना करें कि भगवान राम आपकी इच्छाओं को पूर्ण करें।

निष्कर्ष

रामायण की सर्वश्रेष्ठ चौपाइयां हमें कई महत्वपूर्ण जीवन lessons सिखाती हैं। ये चौपाइयां हमें आध्यात्मिक ज्ञान, नैतिकता और जीवन के मूल्यों के बारे में सिखाती हैं। रामायण की चौपाइयां हमारे जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाने में मदद कर सकती हैं।

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