ईदगाह कहानी
“ईदगाह” एक प्रसिद्ध हिंदुस्तानी कहानी है जिसे भारतीय लेखक मुंशी प्रेमचंद ने लिखा है। इस कहानी को नवाब राय के नाम से भी जाना जाता है। “ईदगाह कहानी” PDF में डाउनलोड करने के लिए नीचे दिए गए लिंक का उपयोग करें।
ईदगाह कहानी हामिद नाम के एक चार साल के अनाथ बच्चे की कहानी है, जो अपनी दादी अमीना के साथ रहता है। हामिद ने हाल ही में अपने माता-पिता को खो दिया है; लेकिन उसकी दादी उसे बताती है कि उसके पिता पैसे कमाने गए हैं और उसकी माँ उसके लिए सुंदर उपहार लाने के लिए अल्लाह के पास गई है। यह आशा हामिद को खुश रखती है, और उसकी दादी की गरीबी को देखते हुए भी वह एक सकारात्मक और खुश बच्चे की तरह जीता है।
ईदगाह का जादू
रमज़ान के तीस दिनों के बाद आखिरकार ईद का दिन आ गया है। कितनी सुंदर और खुशहाल सुबह है! पेड़ों पर नई हरियाली, खेतों में रौनक और आसमान में लालिमा छाई हुई है। आज का सूरज भी कितनी मिठास के साथ चमक रहा है, मानो ईद की बधाई दे रहा हो। गाँव में हलचल है, सभी लोग ईदगाह जाने की तैयारियों में जुटे हैं।
कई बच्चे सबसे ज्यादा खुश हैं। हर कोई ईद का नाम सुनकर उत्साहित हैं। लेकिन यह किसी की भी चिंता नहीं है कि घर में खाने को कुछ है या नहीं। ईदगाह के लिए सभी लोग बस चलने को तैयार हैं।
हामिद का मन तो बस ईदगाह जाने में ही लगा है। उसे पता नहीं कि चौधरी क्यों परेशान हैं या लोग क्यों यहाँ-वहाँ दौड़ रहे हैं। हामिद तो सोचता है कि उसके अब्बाजान पैसे लेकर आएंगे और उसे बहुत सारी चीजें मिलेंगी।
ईदगाह में अनोखा दृश्य
जब हामिद और बच्चे मेले में पहुंचते हैं, तो उन्हें शहर की चकाचौंध और वहाँ के आनंदमय नज़ारे बहुत रोमांचक लगते हैं। ईदगाह में लाखों लोग नमाज के लिए इकट्ठा होते हैं, सब एक-दूसरे के गले मिलते हैं और मिठाइयों का मजा उठाते हैं। हामिद चार पैसे लेकर ठीक से एक चिमटा खरीदने का सोचता है। वह जानता है कि उसकी दादी को रोटियों के लिए चिमटे की जरूरत है।
जब हामिद अपनी दादी को चिमटा लाकर देता है, तो उन्हें बहुत खुशी होती है। उसकी दादी यह देख कर दंग रह जाती हैं कि हामिद ने खिलौनों और मिठाइयों की जगह चिमटा क्यों चुना। हामिद की मासूमियत और उसकी सोच ये बताती है कि त्याग और प्यार का क्या मतलब होता है।
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