योगी कथामृत (Yogi Kathamrita)
परमहंस योगानंद की यह आत्मकथा, पाठकों और योग के जिज्ञासुओं को संतों, योगियों, विज्ञान और चमत्कार, मृत्यु एवं पुनर्जन्म, मोक्ष व बंधन, की एक ऐसी अविस्मरणीय यात्रा पर ले जाती है, जिससे पाठक अभिभूत हो जाता है। सहज-सरल शब्दों में भावाभिव्यक्ति, पठनीय शैली, गठन कौशल, भाव- पटुता, रचना प्रवाह, शब्द सौन्दर्य इस आत्मकथा को एक नया आयाम देते हैं और पुस्तक को पठनीय बनाते हैं। एक सिद्ध पुरुष की जीवनगाथा को प्रस्तुत करती यह पुस्तक जीवन दर्शन के तमाम पक्षों से न सिर्फ हमें रूबरू कराती है, बल्कि योग के अद्भुत चमत्कारों से भी परिचित करवाती है।
योगी की आत्मकथा उनके जीवन और पूर्वी और पश्चिमी दुनिया की आध्यात्मिक हस्तियों के साथ उनकी मुठभेड़ों का वर्णन करती है । पुस्तक की शुरुआत उनके बचपन और पारिवारिक जीवन से होती है, फिर उनके गुरु को ढूंढना, एक भिक्षु बनना और क्रिया योग ध्यान की उनकी शिक्षाओं को स्थापित करना।
Autobiography of a Yogi Hindi
एक योगी की आत्मकथा” भारतीय ध्यान और योग के प्रमुख आध्यात्मिक गुरु श्री श्री परमहंस योगानंद द्वारा लिखी गई एक महत्वपूर्ण पुस्तक है। यह पुस्तक उनके जीवन की कथा, उनके आध्यात्मिक अनुभवों, और उनके गहरे ध्यान और समाधि के अनुभवों को साझा करती है।
“एक योगी की आत्मकथा” में योगानंदजी ने अपने बाल्यकाल से लेकर उनके गुरु स्वामी युक्तेश्वर जी तक के आत्मानुभवों को संग्रहित किया है। उन्होंने अपनी अनोखी यात्रा के दौरान विभिन्न आध्यात्मिक ग्रंथ, ध्यान की विधियों, और उनके गहरे संदेशों को विस्तार से वर्णित किया है। यह पुस्तक आध्यात्मिक जीवन के अनन्त सागर का एक सफर प्रस्तुत करती है, जिसमें उपयोगी और गंभीर ज्ञान, अनुभवों की गहराई, और आत्मानुभूति की महत्वपूर्णता का महत्वपूर्ण परिचय दिया गया है।