योग दर्शन समीक्षा (Yog Darshan Samiksha)
योग दर्शन भारतीय दार्शनिक और योग गुरु पतंजलि के नाम से जाने जाते हैं। योग दर्शन उनके द्वारा रचित “योग सूत्र” में विवेचित किया गया है। यह प्राचीन योग शास्त्र का एक महत्वपूर्ण भाग है और योग के तात्त्विक, मानसिक और शारीरिक पहलुओं को समझने के लिए महत्वपूर्ण है। “योग सूत्र” में 196 सूत्र होते हैं जो योग के मार्ग को विस्तार से वर्णित करते हैं।
योग दर्शन के प्रमुख विषयों
- अष्टांग योग (Ashtanga Yoga): अष्टांग योग के आठ अंग होते हैं, जिनमें यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान, और समाधि शामिल होते हैं।
- कर्म योग (Karma Yoga): कर्म योग में कार्य करते समय आत्मा के लिए आदर्श भावना को बनाए रखने की बात की जाती है।
- भक्ति योग (Bhakti Yoga): भक्ति योग में भगवान के प्रति भक्ति, श्रद्धा और समर्पण का मार्ग बताया गया है।
- ज्ञान योग (Gyan Yoga): ज्ञान योग में ज्ञान की अद्वितीयता को प्राप्त करने के लिए मन को शुद्ध करने का मार्ग बताया गया है।
- ध्यान योग (Dhyana Yoga): ध्यान योग में ध्यान की प्रक्रिया को विकसित करने के लिए अनुभव, समर्पण और संयम को बढ़ावा दिया जाता है।
- समाधि योग (Samadhi Yoga): समाधि योग में चित्त की शांति, स्थिरता और एकाग्रता को प्राप्त करने के लिए अभ्यास का मार्ग बताया गया है।