वसीयत कहानी मालती जोशी
मालती जोशी एक हिन्दी लेखिका हैं जिनकी अनेक रचनाएँ है उन्ही एक रचना में एक है वसीयत की कहानी जिसे हम आज आपके लिए साझा कर रहे हैं। मालती जोशी एक हिन्दी लेखिका हैं, जिन्हें 2018 में साहित्य तथा शिक्षा के क्षेत्र में उनके योगदानों के लिए पद्म श्री से सम्मानित किया गया। जीवन की छोटी-छोटी अनुभूतियों को, स्मरणीय क्षणों को मैं अपनी कहानियों में पिरोती रही हूं। ये अनुभूतियां कभी मेरी अपनी होती हैं कभी मेरे अपनों की।
मालती जोशी ने कई कहानियों का रंगमंचन रेडियो व दूर दर्शन पर नाट्य रूपान्तर भी प्रस्तुत किया जा चुका है। कुछ पर जया बच्चन द्वारा दूरदर्शन धारावाहिक सात फेरे का निर्माण किया गया है तथा कुछ कहानियां गुलज़ार के दूरदर्शन धारावाहिक किरदार में तथा भावना धारावाहिक में शामिल की जा चुकी हैं। इन्हें हिन्दी व मराठी की विभिन्न व साहित्यिक संस्थाओं द्वारा सम्मानित व पुरस्कृत किया जा चुका है।
वसीयत की कहनी मालती जोशी
ओंकार सीटी बजाते हुए घर में दाखिल हुआ ही था कि बरामदे में बैठे हरीश को देखकर एकदम सकपका गया। “नमस्ते भैया! आज आप घर में कैसे?” “तुम्हें कोई एतराज है?” हरीश ने कहा तो ओंकार और भी सहम गया। उसकी हालत देखकर हरीश को हँसी आ गई। कहा-“मैं तो खैर अपने घर में बैठा हूँ पर आज आपकी सवारी इधर कैसे?”
“ऐसे ही कभी-कभी भाभी जी से मिलने चला आता हूँ। भाभी हैं न भीतर?” उसने पूछा और उत्तर की प्रतीक्षा न करते हुए सीधे भीतर चला गया। भीतर वाले ओसारे में माँ बेटी दोनों मिल गई। ओंकार वहीं पास में बैठ गया। बोला-“भाभी जी बड़े भैया के पास कौन सी गाड़ी है?” न जमीं अपनी न फ़लक अपना
“सैंट्रो! क्यों?” “नीली वाली थी न पर आजकल वहाँ एक लाल गाड़ी खड़ी रहती छोटे भैया को जाकर बताओ। बेचारी भाभी, बेचारी भाभी है। खूब बड़ी-सी।”
“अपने कहते उनका मुँह नहीं सूखता और बेचारी भाभी दो-दो गाड़ियाँ रक्खे है।” चुप करो अम्मा! पता है न वह आज घर में है। हाँ तो ओंकार! लाल गाड़ी तो है पर कौन-सी ?” “ठीक से देख नहीं पाया भाभी। पास जाते ही कुत्ते भौंकने लगते हैं। फाटक के बाहर खड़ा रहता हूँ तब भी।” “कुत्ते भी पाल लिये हैं वह भी दो-दो। यहाँ बच्चों को ठीक से नसीब नहीं होता। वहाँ कुत्ते पाले जा रहे हैं वह भी दो-दो। रईसी और कैसी होती है। ” “वह जैसी भी हो नानी जी अब हम वहाँ नही जायेंगे। बड़े जबरा कुत्ता हैं। हमको चीर डालेंगे। मैं गरीब वे मौत मारा जाऊँगा। दस-दस हजार के इन्जेक्शन आते हैं। कहाँ से लगवाऊँगा।” “अरे बड़े आदमियों के कुत्ते काटते हैं तो कुछ नहीं होता। उनके खुद
इन्जेक्शन लगे रहते हैं।” “जो भी हो। अब हम वहाँ नहीं जायेंगे।” कहता हुआ ओंकार उठकर बाहर आ गया। हरीश आराम कुर्सी पर पूर्ववत् आँखें मूंदकर लेटे हुए थे। पर उनके कान भीतर की ओर ही लगे थे। ओंकार की आहट पाते ही वे उठ बैठे-“ओंकार! तुम बड़े भैया के घर गये थे। कुछ काम था?” बेचारा ओंकार बगले झाँकने लगा। खिसकने की भी राह नहीं मिली।
हरीश लगातार उसकी ओर देख रहे थे। आखिर उसने हिम्मत की और कह दिया-“हम कौन अपनी मर्जी से जाते हैं। हमें वहाँ नानी जी भेजती है।” पूरी कहानी के लिए आप नीचे दिए गए लिंक का उपयोग करके PDF प्रारूप में डाउनलोड कर सकते हैं।
मालती जोशी की कहानियां / Malti Joshi Ki Kahaniyan
कर्मांक | कहानी का नाम |
1. | पाषाण युग, |
2. | मध्यांतर, |
3. | समर्पण का सुख, |
4. | मन न हुए दस बीस, |
5. | मालती जोशी की कहानियाँ, |
6. | एक घर हो सपनों का, |
7. | विश्वास गाथा, |
8. | आखीरी शर्त, |
9. | मोरी रंग दी चुनरिया, |
10. | अंतिम संक्षेप, |
11. | एक सार्थक दिन, |
12. | शापित शैशव, |
13. | महकते रिश्ते, |
14. | पिया पीर न जानी, |
15. | बाबुल का घर, |
16. | औरत एक रात है, |
17. | मिलियन डालर नोट |
मालती जोशी बालकथा संग्रह / Malti Joshi BaalKatha Sangrah
कर्मांक | बालकथा का नाम |
1. | दादी की घड़ी, |
2. | जीने की राह, |
3. | परीक्षा और पुरस्कार, |
4. | स्नेह के स्वर, सच्चा सिंगार |
मालती जोशी के उपन्यास / Malti Joshi Ke Upanyas
- पटाक्षेप,
- सहचारिणी,
- शोभा यात्रा,
- राग विराग
मालती जोशी के व्यंग्य / Malti Joshi Ke Vyang
- हार्ले स्ट्रीट;
- गीत संग्रह- मेरा छोटा सा अपनापन
मालती जोशी की अन्य पुस्तकें / Malti Joshi Ki Any Pustaken
- मालती जोशी की सर्वश्रेष्ठ कहानियाँ,
- आनंदी,
- परख,
- ये तेरा घर ये मेरा घर,
- दर्द का रिश्ता,
- दस प्रतिनिधि कहानियाँ,
- अपने आँगन के छींटे,
- रहिमन धागा प्रेम
आप नीचे दिए लिंक का उपयोग करके वसीयत कहानी मालती जोशी PDF में डाउनलोड कर सकते हैं।