Vishwakarma Book
The Vishwakarma Book is a valuable resource that explores the life and significance of Vishwakarma, the craftsman deity and the divine architect of the gods in Hinduism. In earlier texts, this craftsman deity was referred to as Tvastar, and “Vishvakarma” was originally an epithet used for powerful deities. Over time, however, Vishwakarma has become well-known as the name of the craftsman god.
Vishwakarma’s Birth and Legends
भगवान विश्वकर्मा के जन्म को लेकर शास्त्रों में अलग-अलग कथाएं प्रचलित हैं। वराह पुराण के अनुसार ब्रह्माजी ने विश्वकर्मा को धरती पर उत्पन्न किया। वहीं विश्वकर्मा पुराण के अनुसार, आदि नारायण ने सर्वप्रथम ब्रह्माजी और फिर विश्वकर्मा जी की रचना की। भगवान विश्वकर्मा के जन्म को देवताओं और राक्षसों के बीच हुए समुद्र मंथन से भी जोड़ा जाता है।
Vishwakarma Book Overview
विश्वकर्मा शुक्राचार्य के पुत्र थे, इन्हीं को त्वष्टा भी कहा जाता है। इन्हें वास्तुशास्त्र के साथ ज्योतिष का ज्ञान अपने पिता से प्राप्त हुआ था तथा कुछ ज्ञान इन्होंने बृहद्रथ से प्राप्त किया था। इनका वध इन्द्र द्वारा किया गया था। इनकी माता का नाम ‘गौ’ था, जो कि सोमप नामक पितृगणों की पुत्री थीं। त्वष्टा के तीन भाई और थे जिनके नाम वरुत्री, शण्ड तथा मर्क थे। ये असुरों में रहने के कारण असुर कहलाते थे। मय- यह त्वष्टा (विश्वकर्मा) का तीसरा पुत्र था, और इससे छोटी बहिन थी जिसका नाम ‘सरण्यू’ था, जो विवस्वान् (सूर्य) को ब्याही गयी थी।
इसको ज्योतिष शास्त्र तथा वास्तुशास्त्र का ज्ञान विवस्वान् से ही प्राप्त हुआ था। आजकल अमेरिका महाद्वीप में जिस मय सभ्यता का उल्लेख मिलता है, वह इसी मय जाति की सभ्यता थी। इस जाति में अनेक वैज्ञानिक हुए हैं, जिन्हें ‘मय’ ही कहा जाता रहा है। महाभारत एवं रामायण के मय अलग-अलग व्यक्ति थे, जिन्हें इस शास्त्र का ज्ञान परम्परागत रूप से प्राप्त होता रहा था। रावण का ससुर मय और युधिष्ठिर के राजसूय यज्ञ में यज्ञभूमि तथा उस काल के अन्य प्रासादों को बनानेवाले मय एक नहीं थे। परन्तु पण्डित भगवदत्तजी उन्हें एक ही मानते हैं।
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