सिद्ध शाबर मंत्र संग्रह
मंत्र तीन प्रकार के होते हैं वैदिक मंत्र, तांत्रिक मंत्र और शाबर मंत्र. शाबर मंत्र से ज्ञान, मोक्ष ही नहीं बल्कि सांसारिक कार्य और सिद्धि प्राप्त की जा सकती है. शाबर मंत्र से तुरंत, विश्वसनीय, अच्छे और पूर्ण रूप से कार्य सिद्ध होते है। शाबर मंत्रों की साधना में गुरू का महत्वपूर्ण स्थान होता है। इसके अतिरिक्त इसमें सम्बन्धित साधक अथवा देवी-देवता को सौगंध देकर कार्य पूर्ण कराने का भी विधान है। इसी लिए मंत्रों के अन्त में ‘मेरी भक्ति गुरू की शक्ति अथवा ‘लोनी चमारी की आन’ जैसे वाक्य जुड़े होते हैं।
प्राचीन शाबर मंत्रों का पूर्ण संग्रह सही जानकारी के साथ इस पुस्तक। में आपको प्राप्त होगा। कृप्या इस पुस्तक को ध्यान से पढ़ें और धैर्य से पढ़े आपको परेशानियों से बाहर निकलने में भी यह पुस्तक बहुत मदद करेगी। ऐसी आशा करते हैं।सम्पूर्ण तन्त्र शास्त्रों के प्रणेता भगवान शंकर ही माने जाते हैं। शाबर तंत्र का उद्भव भी उन्हीं भोले नाथ के मुख से ही हुआ है। ये मंत्र अंचलीय अथवा ग्रामीण भाषा में होते हैं। प्रायः देखने में आता है कि इनका कोई अर्थ उद्भाषित नहीं होता है, लेकिन इनका प्रभाव बहुत सटीक होता है।
गोरखनाथ सिद्ध शाबर मंत्र
वैदिक मंत्रों की भांति इनमें बहुत लम्बा अनुष्ठान करने की आवश्यकता नहीं होती है। इन्हें किसी विशिष्ट काल में थोड़े ही संख्या में जप करने से कार्य पूर्ण हो जाता है। इनकी साधना हेतु साधक को अल्प अवधि में, थोडे़ से परिश्रम से सिद्धि प्राप्त हो जाती है। मंत्रों की सरलता और सुगमता होने के साथ-साथ ही इनमें परम चमत्कारी गुण भी विद्यमान हैं। इनमें विभिन्न प्रांतों के क्षेत्रीय भाषाओं में षट्कर्मो, जैसे- शांतिकरण , वशीकरण, आकर्षण, उच्चाटन, विद्वेषण तथा मारण कर्मों के विधानों का उल्लेख आता है, जो साधकों के लिए वरदान स्वरूप प्रतीत होते हैं।