Saravali Book PDF

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Saravali Book

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वेदाके में ज्योतिषशास्त्र सर्वश्रेष्ठ शास्त्र है । इस शास्त्र के बल पर ही जगत् का शुभाशुभ ज्ञात हो सकता है । इस शास्त्र के मुख्य तीन भाग हैं- १. सिद्धान्त, २? संहिता, ३ होरा । ये तीनों भाग महर्षियों द्वारा प्रणीत होने के कारण ही जीवन में होने वाली घटनाओं का सत्य परिचय देने में पूर्ण समर्थ होते हैं । इसमें लेशमात्र भी सन्देह नहीं है । सिद्धान्त, संहिता इन दोनों के लक्षण तत्तद् गन्थों में उपलब्ध हैं ।

प्रस्तुत ‘ सारावली ‘ में होरा या जातक का विवेचन किया गया है इस विषय पर वराहमिहिर ने बृहज्जातक का निर्माण किया था किन्तु उसमें विषयों का विभाजन संक्षेप में मिलता है । इसके उपरान्त कल्याणवर्मा की यह सारावली ही दूसरा गन्ध है जिसमें जातक के जीवन से सम्बद्ध सभी प्रकार के सुख-दुःख, अच्छा बुरा आदि का विस्तृत विवरण सम्यक् प्रकार से विवेचित हुआ है । इस एकमात्र ग्रन्थ के विवेकपूर्वक अध्ययन से जातक के सम्पूर्ण जीवन का वास्तविक फलादेश कहा जा सकता है । यवनजातक आदि गन्धों का सार भी इसमें संगृहीत है । इस महत्ता के कारण ही यह ग्रन्थ प्राय: सभी विश्वविद्यालयों में ज्योतिष-पाठ्यग्रन्थों में निर्धारित है ।

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