रिच डैड पुअर डैड
रिच डैड पुअर डैड पुस्तक यह सिखाती है कि क्यों भविष्य के लिहाज़ से भारी-भरकम वेतन पाने के बजाय संपत्ति हासिल करना और बनाना ज़रूरी हो सकता है – और वे कौन-से टैक्स के लाभ हैं जो निवेशक तथा बिज़नेस मालिक प्राप्त करते हैं। इस किताब में 2 ऐसे पिताओं की कहानी है जिनका पैसे और इनवेस्टमेंट को लेकर अलग ही नजरिया है।
रिच डैड पुअर डैड हर उस व्यक्ति के लिए एक शुरूआत की तरह है जो अपने वित्तीय भविष्य पर नियंत्रण चाहता है” – यू एस ए टुडे
पुस्तक अध्ययन रिच डैड फ़िलॉसफ़ी का हिस्सा है : पढ़ें, चर्चा करें, अध्ययन करें और दोबारा चर्चा करें। 20वीं वर्षगांठ के इस संस्करण में 9 नए अध्ययन सत्र शामिल हैं, जिनका इस्तेमाल आप अपने मित्रों एवं परिवार के साथ पढ़ते हुए, पुन: पढ़ते हुए, चर्चा करते समय और इस पुस्तक का अध्ययन करते समय एक गाइड की तरह कर सकते हैं।
रिच डैड पुअर डैड की कहानी क्या है (Rich Dad Poor Dad)
रिच डैड पुअर डैड पुस्तक रॉबर्ट कियोसाकी द्वारा लिखित विश्व प्रसिद्ध पुस्तक है। उन्होंने दुनिया भर लोगों की पैसों के बारे में सोच को बदला है। माता – पिता, अपने बच्चों को स्कूल भेजते हैं, लेकिन स्कूल में कई साल गुजारने भी वित्तीय साक्षरता नहीं दी जाती है। उन्हें सिर्फ नौकरी की सुरक्षा का पाठ पढ़ाया जाता है, लेकिन पैसों को अपने लिए काम करवाया नहीं सिखाया जाता है। अतः व्यापार और निवेश के गुणो को विकसित करने के लिए आपको यह पुस्तक आपको अवश्य पढ़नी चाहिए। इससे आपको बाजार की और पैसे की व्यावहारिक समझ मिलेगी, जिससे आपका आर्थिक जीवन बदल सकता है।
रोबर्ट कियोसाकी को अपने बचपन में दो पिताओं की शिक्षा मिली। रोबर्ट का डैडी एक पढ़े लिखे विश्वविद्यालय के प्रोफेस्सर थे लेकिन अपनी आमदनी को सही ढंग से प्रबंधन नहीं कर पाते थे। वहीँ दूसरी तरफ रिच डैड जो कि लेखक के प्रिय मित्र माइक के पिता थे, कम पढ़े – लिखे थे, उनकी गणना हवाई राज्य के अमीरों में होती थी।
इसका कारण लेखक ने रिच डैड की वित्तीय साक्षरता को दी है। अतः लेखक का कहना है कि गरीब और मध्यवर्गीय लोग पैसे के लिए काम करते हैं, जबकि अमीरों के लिए पैसा काम करता है।गरीब आदमी नौकरी की सुरक्षा, प्रमोशन और पेंशन के लिए काम करते। ज्यादा पैसा कमाने के लिए वे लोग ज्यादा मेहनत को ही प्राथमिकता देते हैं। इस प्रकार उसके अंदर असुरक्षा की भावना रहती है, जबकि अमीर काम सीखने के लिए काम करते हैं, काम सीखने के बाद पैसा अपने आप आता है। नए – नए तारीके खोजते रहते हैं।
रॉबर्ट कियोसाकी का मानना रहा है कि बच्चों को विद्यालयों को वित्तीय साक्षरता का पाठ पढ़ाया जाना चाहिए। उसे आज के सूचना युग के लिए तैयार करना चाहिए, न की औद्यगिक युग की तरह स्कूल जाओ, अच्छे नंबरों से पास हो और दायित्व में फर्क नहीं समझता है। यही कारण है कि वह घर को अपनी सबसे बड़ी पूँजी समझता है, जबकि वही पर उसके जेब से सबसे ज्यादा पैसा निकलता है। लेखक का मानना है कि संपत्ति वह है, जो आपके जेब से पैसा लाय न की आपके जेब से पैसा निकाले। अतः संपत्ति और दायित्व के अंतर को समझना चाहिए। लोगों को अपने जीवन में पैसिव इनकम पर ध्यान देना चाहिए, जिसमें व्यापार, स्टॉक, बॉन्ड, म्यूच्यूअल फंड्स, रियल स्टेट, नोट्स, बौद्धिक सम्पदा पर स्थान देना चाहिए, जिससे आपकी जेब में पैसा आए।
लेखक ने मैक्डोनाल्ड के मालिक रे क्रॉक का उदाहरण दिया है जिन्होंने M.B.A के विद्यार्थियों को अपनी वास्तव व्यवसाय हैम बर्गर बेचना नहीं, बल्कि रियल स्टेट बताया है। रे का व्यापार प्लान फ्रेंचाइजी बेचना था, जिसमें वे फ्रेंचाइजी की लोकेशन द्वारा रियल स्टेट का व्यापार करते थे।
लेखक का कहना है कि लोगों को एक साल तक बिक्री की कला सीखनी चाहिए। भले ही इससे कुछ कमाई न हो, लेकिन इससे कम्यूनिकेश स्किल्स सुधार होगी।
लेखक सैद्धांतिक एवं व्यवहारिक दोनों बातों को सिखाया है। कुछ बुरी आदतों से बचने की सलाह दी है, जिनमें डर, सनकीपन, आलस्य, बुरी आदतें, जिद आदि है। व्यवसाय और निवेश सीखा जा सकता है, केवल नौकरी की सुरक्षा से ही ग्रसित नहीं रहना चाहिए। अपने सीखने की गुणवत्ता में भी सुधार करना चाहिए, तभी हम वित्तीय स्वाधीनता की ओर बढ़ पाएँगे।