Pitru Stotra (पितृ स्तोत्र) PDF

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Pitru Stotra (पितृ स्तोत्र)

Pitru Stotra (पितृ स्तोत्र)

पितृ पक्ष के दिन शुरू हो चुके है जिन लोगों की कुंडली में पितृ दोष है उन्हें ये मंत्र जाप ओर स्तोत्र पाठ जरुर करना चाहिए, ताकि उसके ओर उसके परिवार पर पितरों की कृपा हमेशा बनी रहे। इस दौरान लोग अपने पितरों को स्‍मरण करेंगे। विधि एवं विधान से रोज सुबह धूप एवं ध्‍यान देंगे। पक्ष की समाप्ति पर सर्वपितृ अमावस्‍या पर आखिरी पूजा होगी।

जो मनुष्य इस स्तोत्र का पाठ करेंगे हम उसे मनोवांछित भोग और उत्तम फल प्रदान करेंगे, जो निरोगी रहना चाहता हो-धन-पुत्रको प्राप्त करना चाहता हो वो सदैव इस स्तुति से हमें प्रसन्न करें। यह स्तोत्र हमें प्रसन्न करनेवाला है । हमने इस पितृ स्तोत्र को हिन्दी अनुवाद सहित पीडीएफ़ प्रारूप मे बनाया है जिसे आप नीचे दिए गए लिंक का उपयोग करके डाउनलोड कर सकते है।

पितृस्तोत्र हिन्दी अनुवाद सहित – Pitru Stotra

1- अर्चितानाममूर्तानां पितृणां दीप्ततेजसाम् ।
नमस्यामि सदा तेषां ध्यानिनां दिव्यचक्षुषाम् ।।

हिन्दी अर्थ– जो सबके द्वारा पूजित, अमूर्त, अत्यन्त तेजस्वी, ध्यानी तथा दिव्यदृष्टि सम्पन्न हैं, उन पितरों को मैं सदा नमस्कार करता हूँ ।

2- इन्द्रादीनां च नेतारो दक्षमारीचयोस्तथा ।
सप्तर्षीणां तथान्येषां तान् नमस्यामि कामदान् । ।

हिन्दी अर्थ– जो इन्द्र आदि देवताओं, दक्ष, मारीच, सप्तर्षियों तथा दूसरों के भी नेता हैं, कामना की पूर्ति करने वाले उन पितरो को मैं प्रणाम करता हूँ ।

3- मन्वादीनां च नेतार: सूर्याचन्दमसोस्तथा ।
तान् नमस्यामहं सर्वान् पितृनप्युदधावपि ।।

हिन्दी अर्थ– जो मनु आदि राजर्षियों, मुनिश्वरों तथा सूर्य और चन्द्रमा के भी नायक हैं, उन समस्त पितरों को मैं जल और समुद्र में भी नमस्कार करता हूँ ।

4- नक्षत्राणां ग्रहाणां च वाय्वग्न्योर्नभसस्तथा ।
द्यावापृथिवोव्योश्च तथा नमस्यामि कृताञ्जलि: ।।

हिन्दी अर्थ– नक्षत्रों, ग्रहों, वायु, अग्नि, आकाश और द्युलोक तथा पृथ्वी के भी जो नेता हैं, उन पितरों को मैं हाथ जोड़कर प्रणाम करता हूँ ।

5- देवर्षीणां जनितृंश्च सर्वलोकनमस्कृतान् ।
अक्षय्यस्य सदा दातृन् नमस्येहं कृताञ्जलि: ।।

हिन्दी अर्थ– जो देवर्षियों के जन्मदाता, समस्त लोकों द्वारा वन्दित तथा सदा अक्षय फल के दाता हैं, उन पितरों को मैं हाथ जोड़कर प्रणाम करता हूँ ।

6- प्रजापते: कश्पाय सोमाय वरुणाय च ।
योगेश्वरेभ्यश्च सदा नमस्यामि कृताञ्जलि: ।।

हिन्दी अर्थ– प्रजापति, कश्यप, सोम, वरूण तथा योगेश्वरों के रूप में स्थित पितरों को सदा हाथ जोड़कर प्रणाम करता हूँ ।

7- नमो गणेभ्य: सप्तभ्यस्तथा लोकेषु सप्तसु ।
स्वयम्भुवे नमस्यामि ब्रह्मणे योगचक्षुषे ।।

हिन्दी अर्थ– सातों लोकों में स्थित सात पितृगणों को नमस्कार है। मैं योगदृष्टिसम्पन्न स्वयम्भू ब्रह्माजी को प्रणाम करता हूँ ।

8- सोमाधारान् पितृगणान् योगमूर्तिधरांस्तथा ।
नमस्यामि तथा सोमं पितरं जगतामहम् ।।

हिन्दी अर्थ– चन्द्रमा के आधार पर प्रतिष्ठित तथा योगमूर्तिधारी पितृगणों को मैं प्रणाम करता हूँ। साथ ही सम्पूर्ण जगत् के पिता सोम को नमस्कार करता हूँ ।

9- अग्रिरूपांस्तथैवान्यान् नमस्यामि पितृनहम् ।
अग्रीषोममयं विश्वं यत एतदशेषत: ।।

हिन्दी अर्थ– अग्निस्वरूप अन्य पितरों को मैं प्रणाम करता हूँ, क्योंकि यह सम्पूर्ण जगत् अग्नि और सोममय है ।

10- ये तु तेजसि ये चैते सोमसूर्याग्रिमूर्तय: ।
जगत्स्वरूपिणश्चैव तथा ब्रह्मस्वरूपिण: ।।
तेभ्योखिलेभ्यो योगिभ्य: पितृभ्यो यतामनस: ।
नमो नमो नमस्तेस्तु प्रसीदन्तु स्वधाभुज ।।

हिन्दी अर्थ– जो पितर तेज में स्थित हैं, जो ये चन्द्रमा, सूर्य और अग्नि के रूप में दृष्टिगोचर होते हैं तथा जो जगत्स्वरूप एवं ब्रह्मस्वरूप हैं, उन सम्पूर्ण योगी पितरो को मैं एकाग्रचित्त होकर प्रणाम करता हूँ । उन्हें बारम्बार नमस्कार है। वे स्वधाभोजी पितर मुझपर प्रसन्न हों ।

।। इति पितृ स्त्रोत समाप्त ।।

पितृ स्तोत्र के लाभ

  • पितृ स्तोत्र के नियमित पाठ से अनेक जन्मों के पितृ दोष का निवारण होता है।
  • हेमन्त ऋतु के समय श्राद्ध में इसका पाठ करने से पितरों को बारह वर्ष तक तृप्ति होती है।
  • शिशिर ऋतु में चौबीस साल तक तृप्ति प्रदान करता है
  • वसंत ऋतु में सोलह साल तक तृप्ति प्रदान करता है।
  • ग्रीष्म ऋतु में भी सोलह साल तक तृप्ति प्रदान करता है।
  • वर्षा ऋतु में किया हुआ यह स्तोत्र का पाठ अक्षय तृप्ति प्रदान करता है।
  • शरत्काल में किया हुआ इसका पाठ पन्द्रह साल तक तृप्ति प्रदान करता है।
  • श्राद्ध में ब्राह्मणों को भोजन अर्पित करते समय इस स्तोत्र का पाठ करने से यह पितरों को पुष्टि प्रदान करता है।
  • यदि आप अपने घर में पितृ स्तोत्र भोजपत्र पर अंकित कर रखते हैं तो, आपके घर में पितृ श्राद्ध के समय में उपस्थित हो रहते हैं।

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