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12 पंचवर्षीय योजना
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12 पंचवर्षीय योजना

भारत में पंचवर्षीय योजनाओं की शुरुआत जवाहर लाल नेहरु के समय में शुरू की गयी थी। भारत की पहली पंचवर्षीय योजना 1951 में शुरू की गई थी और 12 वीं और अंतिम परियोजना 2017 में ख़त्म हो गयी थी। 12वीं पंचवर्षीय योजना का लक्ष्य 8। 0 प्रतिशत की औसत आर्थिक विकास दर हासिल करना है। 12वीं पंचवर्षीय योजना का उद्देश्य “तेज, स्थायी और अधिक समावेशी विकास” प्राप्त करना है। गरीबी को कम करने के लिए, राज्यों में और राज्यों के भीतर क्षेत्रीय समानता में सुधार करना।

पंचवर्षीय योजना की सूची

प्रथम पंचवर्षीय योजना:

  • इस योजना की अवधि 1951 से 1956 तक थी।
  • यह योजना हैरोड-डोमर मॉडल पर आधारित थी।
  • इसका मुख्य ध्यान देश के कृषि विकास पर था।
  • यह योजना सफल रही और 3। 6% की वृद्धि दर हासिल की थी।

दूसरी पंचवर्षीय योजना:

  • इस योजना की अवधि 1956 से 1961 के बीच की थी।
  • यह योजना पी। सी। महालनोबिस मॉडल पर आधारित थी।
  • इसका मुख्य लक्ष्य देश के औद्योगिक विकास पर था।
  • यह योजना भी सफल रही और इसने 4। 1% की वृद्धि दर हासिल की थी।

तीसरी पंचवर्षीय योजना:

  • इस योजना की अवधि 1961 से 1966 के बीच की थी।
  • इस योजना को ‘गाडगिल योजना’ भी कहा जाता है।
  •  इस योजना का मुख्य लक्ष्य अर्थव्यवस्था को गतिमान और आत्म निर्भर बनाना था।
  • चीन से युद्ध के कारण, यह योजना फेल हो गयी थी। इस योजना की वृद्धि दर का लक्ष्य 5। 6% था लेकिन वास्तविक वृद्धि दर 2। 4% रही थी।

योजना अवकाश:

  • योजना अवकाश की समय अवधि 1966 से 1969 तक थी।
  • इन तीन सालों में कोई भी पंचवर्षीय योजना नहीं बनायीं गयी थी बल्कि हर साल एक वर्षीय योजना बनायीं गयी थी और हर योजना में कृषि और सम्बद्ध क्षेत्रों के साथ-साथ उद्योग क्षेत्र को समान प्राथमिकता दी गई थी।
  • योजना अवकाश को बनाने के पीछे का कारण भारत-पाकिस्तान युद्ध और तीसरी पंचवर्षीय योजना की विफलता थी।

चौथी पंचवर्षीय योजना:

  • इस योजना की अवधि 1969 से 1974 तक थी।
  • इस योजना के दो मुख्य उद्देश्य थे; पहला, स्थिरता के साथ विकास और दूसरा आत्म निर्भरता की स्थिति प्राप्त करना।
  • इस योजना के दौरान ही 1971 के चुनावों के दौरान इंदिरा गांधी द्वारा “गरिबी हटाओ” का नारा दिया गया था।
  •  यह योजना असफल रही थी और 5। 7% की विकास दर के लक्ष्य के मुकाबले केवल 3। 3% की वृद्धि दर हासिल कर सकी थी।

पांचवीं पंचवर्षीय योजना:

  • इस योजना की अवधि 1974 से 1979 तक थी।
  • इस योजना में कृषि को सर्वोच्च प्राथमिकता दी गई थी, इसके बाद उद्योग और खानों को वरीयता दी गयी थी।
  • कुल मिलाकर यह योजना सफल रही थी जिसने 4। 4% के लक्ष्य के मुकाबले 4। 8% की वृद्धि दर हासिल की थी।
  •  इस योजना का ड्राफ्ट ‘डी। पी। धर’ द्वारा तैयार किया गया था।  नव निर्वाचित मोरारजी देसाई सरकार ने इस योजना को समय से पहले ही 1978 में समाप्त कर दिया था।

रोलिंग प्लान: जब केंद्र में मोरारजी देसाई सरकार सत्ता में आयी तो उसने पांचवीं पंचवर्षीय योजना को 1978 में ही खत्म कर दिया था और इसके स्थान पर एक “वार्षिक प्लान” बना दिया था जिसे रोलिंग प्लान कहा गया था।

छठवीं पंचवर्षीय योजना:

  • इस योजना की अवधि 1980 से 1985 तक थी।
  • इस योजना का मूल उद्देश्य गरीबी उन्मूलन और तकनीकी आत्मनिर्भरता प्राप्त करना था।
  • छठी पंचवर्षीय योजना ने भारत में आर्थिक उदारीकरण की शुरुआत की थी।  मूल्य नियंत्रण समाप्त हो गए और राशन की दुकानें बंद कर दी गईं थी जिससे खाद्य कीमतों में वृद्धि हुई थी और देश में महंगाई ने अपने पैर पसारने शुरू कर दिए थे। इस प्रकार इस योजना के समय से नेहरु के समाजवाद का अंत हो गया था।
  •  इसी योजना के समय से देश में ‘फैमिली प्लानिंग’ की शुरुआत और नाबार्ड बैंक (1982) की स्थापना हुई थी।
  •  यह योजना बहुत सफल हुई थी। इसका विकास लक्ष्य 5। 2% था लेकिन इसने 5। 7% की वृद्धि दर हासिल की थी।

सातवीं पंचवर्षीय योजना:

  • इस योजना की अवधि 1985 से 1990 तक थी।
  • इस योजना के उद्देश्यों में आत्म निर्भर अर्थव्यवस्था की स्थापना और रोजगार के पर्याप्त अवसर पैदा करना शामिल था।
  • इस योजना में पहली बार निजी क्षेत्र को सार्वजनिक क्षेत्र की तुलना में अधिक में प्राथमिकता मिली थी।
  •  इसका विकास लक्ष्य 5। 0% था लेकिन इसने 6। 0% वृद्धि दर हासिल की थी।

वार्षिक योजनाएं: केंद्र में अस्थिर राजनीतिक स्थिति के कारण आठवीं पंचवर्षीय योजना समय पर शुरू नहीं हो सकी, इस कारण 1990-91 और 1991-92 में दो वार्षिक योजनायें बनायीं गयी थीं।

आठवीं पंचवर्षीय योजना:

  • इस योजना की अवधि 1992 से 1997 तक थी।
  • इस योजना में मानव संसाधन विकास जैसे रोजगार, शिक्षा और सार्वजनिक स्वास्थ्य के विकास को सर्वोच्च प्राथमिकता दी गई थी।
  • इस योजना के दौरान ही नरसिम्हा राव सरकार ने भारत की नयी आर्थिक नीति को मंजूरी दी थी। अर्थात देश में उदारीकरण, निजीकरण और वैश्वीकरण (एलपीजी मॉडल) की शुरुआत हुई थी।
  • यह योजना सफल रही थी और इसके विकास का लक्ष्य 5। 6% रखा गया था लेकिन इस योजना ने 6। 8% की वार्षिक वृद्धि दर हासिल की थी।

नौवीं पंचवर्षीय योजना:

  • इस योजना की अवधि 1997 से 2002 तक थी.
  • इस योजना का मुख्य फोकस “न्याय और समानता के साथ विकास” पर था.
  • इसे भारत की आजादी के 50 वें वर्ष में लॉन्च किया गया था.
  • यह योजना अपने विकास लक्ष्य 7% की दर को प्राप्त करने में सफल नहीं रही थी और इसने केवल 5.6% की वृद्धि दर हासिल की थी.

दसवीं पंचवर्षीय योजना:

  • इस योजना की अवधि 2002 से 2007 तक थी.
  • इस योजना का लक्ष्य अगले 10 वर्षों में भारत की प्रति व्यक्ति आय को दोगुना करना था.
  • इसका उद्देश्य 2012 तक गरीबी अनुपात को 15% कम करना था.
  • इस योजना में 8.0% विकास दर हासिल करने का लक्ष्य रखा गया था लेकिन वास्तव में केवल 7.2% की वृद्ध दर हासिल की जा सकी थी.

ग्यारहवीं पंचवर्षीय योजना:

  • इस योजना की अवधि 2007 से 2012 तक थी.
  • यह योजना सी. रंगराजन द्वारा तैयार की गयी थी
  • इसकी मुख्य थीम “तेज़ और अधिक समावेशी विकास” थी.
  • इस योजना में 8.1 % विकास दर हासिल करने का लक्ष्य रखा गया था लेकिन वास्तव में केवल 7.9% की वृद्ध दर हासिल की जा सकी थी.

बारहवीं पंचवर्षीय योजना:

  • इस योजना की अवधि 2012 से 2017 तक थी.
  • यह योजना सी. रंगराजन द्वारा तैयार की गयी थी
  • इसकी मुख्य थीम “तेज़, अधिक समावेशी और सतत विकास” थी.
  • इस योजना में 8 % विकास दर हासिल करने का लक्ष्य रखा गया था लेकिन वास्तव में केवल 6.8% की वृद्ध दर हासिल की जा सकी थी.

बारहवीं पंचवर्षीय योजना के उद्देश्य थे:

  • गैर कृषि क्षेत्र में 50 मिलियन नए काम के अवसर पैदा करना.
  • 0-3 साल के बच्चों के बीच कुपोषण को कम करना.
  • वर्ष 2017 तक सभी गांवों को बिजली उपलब्ध कराना
  • ग्रामीण आबादी के 50% जनसँख्या को उचित पेयजल की सुविधा उपलब्ध कराना
  • हर साल 1 मिलियन हेक्टेयर क्षेत्र में पेड़ लगाकर हरियाली फैलाना
  • देश के 90% परिवारों को बैंकिंग सेवाओं से जोड़ना

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