भारतीय न्याय संहिता 2024
भारत में 1 जुलाई से देशभर में तीन नए आपराधिक कानून- भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनयम लागू हो गए हैं। भारतीय कानून प्रणाली में बदलाव के लिए तीन विधेयक पिछले साल संसद में पेश किए गए थे। इसी साल 24 फरवरी को केंद्र सरकार ने घोषणा की थी कि तीन नए आपराधिक कानून इस साल 1 जुलाई से लागू होंगे।
नए कानूनों की सूची 2024 की मुख्य विशेषताएँ निम्नलिखित तालिका में दी गई हैं:
कानून का नाम | पुराने कानून का स्थान | महत्वपूर्ण प्रावधान |
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भारतीय न्याय संहिता, 2023 | भारतीय दंड संहिता, 1860 | राजद्रोह हटाया गया, नाबालिगों से सामूहिक बलात्कार और मॉब लिंचिंग के लिए मौत की सजा का प्रावधान |
भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 | दंड प्रक्रिया संहिता, 1973 | मामलों की तय समय में जांच और फैसला, यौन उत्पीड़न पीड़ितों के बयान की वीडियो रिकॉर्डिंग अनिवार्य |
भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 2023 | भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 1872 | इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल रिकॉर्ड को कानूनी सबूत के रूप में स्वीकार करना, सभी रिकॉर्ड का डिजिटलीकरण |
New Kanoon List in Hindi 2024
नई धारा | पुरानी धारा | विवरण |
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धारा 101 | धारा 302 | हत्या का प्रावधान |
धारा 316 | धारा 420 | धोखाधड़ी का प्रावधान |
धारा 187 | धारा 144 | अवैध सभा का प्रावधान |
धारा 146 | धारा 121 | युद्ध छेड़ने का प्रावधान |
धारा 354 | धारा 499 | मानहानि का प्रावधान |
धारा 63 | धारा 376 | बलात्कार का प्रावधान |
धारा 70 | नई धारा | सामूहिक बलात्कार का प्रावधान |
अदालती कार्यवाही की प्रक्रिया क्या होगी?
सुप्रीम कोर्ट के वकील अभिषेक राय और ज्ञानंत सिंह कहते हैं कि जो एफआईआर एक जुलाई के बाद दर्ज होगी, वह भले ही आईपीसी में दर्ज हुई हो, लेकिन प्रोसिजरल ला नया ही लागू होगा। यानी मामले की जांच, चार्जशीट, अदालती कार्यवाही की प्रक्रिया नए कानून भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता के प्रविधानों के मुताबिक होगी।
जमानत के लिए क्या होंगे नियम
उसमें जो प्रक्रिया और डेटलाइन दी गई है, उसी का पालन किया जाएगा। इसके बाद जब आईपीसी में दर्ज मामले में आरोपित की जमानत का मुद्दा कोर्ट पहुंचेगा तो माननीय न्यायाधीश जमानत अर्जी पर विचार करते समय यह देखेंगे कि अभियुक्त जिस अपराध में जमानत मांग रहा है वह अपराध आईपीसी में जमानती है या गैरजमानती, लेकिन उसी वक्त जमानत देने की प्रक्रिया में नया कानून लागू करेंगे।
नए कानूनों में बड़े बदलाव क्या हैं?
- नागरिक किसी भी पुलिस स्टेशन में जीरो एफआईआर दर्ज करा सकेंगे, चाहे उनका अधिकार क्षेत्र कुछ भी हो।
- जीरो एफआईआर को क्षेत्राधिकार वाले पुलिस स्टेशन को अपराध पंजीकरण के बाद 15 दिनों के भीतर भेजा जाना अनिवार्य है।
- जिरह अपील सहित पूरी सुनवाई वीडियो कॉन्फ्रेसिंग के माध्यम से की जाएगी।
- यौन अपराधों के पीड़ितों के बयान दर्ज करते समय वीडियोग्राफी अनिवार्य है।
- सभी प्रकार के सामूहिक बलात्कार के लिए सजा 20 साल या आजीवन कारावास।
- नाबालिग से बलात्कार की सजा में मौत की सजा शामिल है।
- एफआईआर के 90 दिनों के भीतर अनिवार्य रूप से चार्जशीट दाखिल की जाएगी। न्यायालय ऐसे समय को 90 दिनों के लिए और बढ़ा सकता है, जिससे जांच को समाप्त करने की कुल अधिकतम अवधि 180 दिन हो जाएगी।
- आरोप पत्र प्राप्त होने के 60 दिन के भीतर अदालतों को आरोप तय करने का काम पूरा करना होगा।
- सुनवाई के समापन के बाद 30 दिन के भीतर अनिवार्य रूप से फैसला सुनाया जाएगा।
- फैसला सुनाए जाने के सात दिन के भीतर अनिवार्य रूप से ऑनलाइन उपलब्ध कराया जाएगा।
- तलाशी और जब्ती के दौरान वीडियोग्राफी अनिवार्य है।
- सात साल से अधिक की सजा वाले अपराधों के लिए फोरेंसिक टीमों को अनिवार्य रूप से अपराध स्थलों का दौरा करना होगा।
- जिला स्तर पर मोबाइल एफएसएल की तैनाती होगी।
- सात साल या उससे अधिक की सजा वाला कोई भी मामला पीड़ित को सुनवाई का अवसर दिए बिना वापस नहीं लिया जाएगा।
- संगठित अपराधों के लिए अलग, कठोर सजा।
- शादी, नौकरी आदि के झूठे बहाने के तहत महिला के बलात्कार को दंडित करने वाले अलग प्रावधान।
- चेन / मोबाइल स्नैचिंग और इसी तरह की शरारती गतिविधियों के लिए अलग प्रावधान।
- बच्चों के खिलाफ अपराध के लिए सजा को सात साल से बढ़ाकर 10 साल की जेल की अवधि तक।
- मृत्युदंड की सजा को कम करके अधिकतम आजीवन कारावास में बदला जा सकता है, आजीवन कारावास की सजा को कम करके अधिकतम सात साल के कारावास में बदला जा सकता है और सात साल की सजा को तीन साल के कारावास में बदला जा सकता है और इससे कम नहीं।
- किसी भी अपराध में शामिल होने के लिए जब्त किए गए वाहनों की वीडियोग्राफी अनिवार्य होगी।