नील सरस्वती स्तोत्र – Neel Saraswati Stotram PDF

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नील सरस्वती स्तोत्र – Neel Saraswati Stotram

नील सरस्वती स्तोत्र – Neel Saraswati Stotram

नील सरस्वती स्तोत्र – Neel Saraswati Stotram

नील सरस्वती स्तोत्र, देवी सरस्वती को समर्पित एक बेहद शक्तिशाली स्तोत्र है। इसके पाठ से व्यक्ति को ज्ञान की प्राप्ति होती है। यह एक सिद्ध सरस्वती स्तोत्र है, जिसके प्रभाव से साधक की बुद्धि तीक्ष्ण बनती है और उसके अंदर आत्मज्ञान जागृत होता है।

नवरात्रि में नील सरस्वती स्तोत्र का विशेष महत्व

अष्टमी, नवमी और चतुर्दशी के दिन नील सरस्वती स्तोत्र का पाठ करना विशेष रूप से लाभकारी सिद्ध होता है। कई साधक इस स्तोत्र को अर्थ सहित कंठस्थ करते हैं और योनिमुद्रा में आसन लगाकर इसका पाठ करते हैं। यह एक शत्रु नाशक नील सरस्वती स्तोत्र है, जो साधक के सभी शत्रुओं का नाश कर देता है। 🌸

नील सरस्वती स्तोत्र – Neela Saraswati Stotram Hindi Lyrics

॥ अथ श्रीनील सरस्वतीस्तोत्रम् ॥

॥ श्री गणेशाय नमः ॥

घोररूपे महारावे सर्वशत्रुभयङ्करि।
भक्तेभ्यो वरदे देवि त्राहि मां शरणागतम्। ॥1॥

अर्थ – भयानक रूपवाली, घोर निनाद करनेवाली, सभी शत्रुओं को भयभीत करनेवाली तथा भक्तों को वर प्रदान करनेवाली हे देवि! आप मुझ शरणागत की रक्षा करें।

ॐ सुरासुरार्चिते देवि सिद्धगन्धर्वसेविते।
जाड्यपापहरे देवि त्राहि मां शरणागतम्। ॥2॥

अर्थ – देव तथा दानवों के द्वारा पूजित, सिद्धों तथा गन्धर्वों के द्वारा सेवित और जड़ता तथा पाप को हरनेवाली हे देवि! आप मुझ शरणागत की रक्षा करें।

जटाजूटसमायुक्ते लोलजिह्वान्तकारिणि।
द्रुतबुद्धिकरे देवि त्राहि मां शरणागतम्। ॥3॥

अर्थ – जटाजूट से सुशोभित, चंचल जिह्वा को अंदर की ओर करनेवाली, बुद्धि को तीक्ष्ण बनानेवाली हे देवि! आप मुझ शरणागत की रक्षा करें।

सौम्यक्रोधधरे रुपे चण्डरूपे नमोऽस्तु ते।
सृष्टिरुपे नमस्तुभ्यं त्राहि मां शरणागतम्। ॥4॥

अर्थ – सौम्य क्रोध धारण करनेवाली, उत्तम विग्रहवाली, प्रचण्ड स्वरूपवाली हे देवि! आपको नमस्कार है। हे सृष्टिस्वरुपिणि! आपको नमस्कार है, मुझ शरणागत की रक्षा करें।

नील सरस्वती स्तोत्र हिंदी पाठ विधि – Neel Saraswati Stotram Path Vidhi :

  1. प्रतिदिन नील सरस्वती स्तोत्र का पाठ करने से आपको चमत्कारिक अनुभव होंगे, किन्तु यदि आप देवी सरस्वती की विशेष कृपा प्राप्त करना चाहते हैं, तो विशेष रूप से आपको अष्टमी, नवमी तथा चतुर्दशी को इस स्तोत्र का पाठ अवश्य करना चाहिए।
  2. सर्वप्रथम स्नान करके स्वच्छ श्वेत और पीले वस्त्र धारण करें।
  3. एक पीले आसान पर पूर्व दिशा की ओर मुख करके पद्मासन में बैठ जाएँ।
  4. अब अपने सामने लकड़ी की चौकी पर पीला कपड़ा बिछाकर देवी माँ सरस्वती की एक प्रतिमा या छायाचित्र स्थापित करें।
  5. देवी सरस्वती का ध्यान और आवाहन करें तथा उनको आसन ग्रहण करवाएं।
  6. फिर उन्हें धूप, दीप, सुगंध ना नैवेद्य अर्पित करें।
  7. उनको बेसन या बूंदी के लड्डू का भोग अर्पित करें।
  8. तत्पश्चात पूर्ण श्रद्धा से श्री नील सरस्वती स्तोत्र का पाठ करें।
  9. पाठ सम्पूर्ण होने पर देवी सरस्वती की आरती करें और अपने लिए बुद्धि, विद्या तथा ज्ञान की कामना करें।

नील सरस्वती स्तोत्र के लाभ व महत्व (Benefits & Significance):

  • सिद्ध नील सरस्वती स्तोत्र का प्रतिदिन पाठ करने से आत्मज्ञान में वृद्धि होती है।
  • यदि छात्रों को पढ़ाई में समस्या है, तो उन्हें भी श्री नील सरस्वती स्तोत्र का पाठ करना चाहिए।
  • इस स्तोत्र का प्रतिदिन पाठ करने से व्यक्ति के मस्तिष्क में शीघ्र निर्णय लेने की क्षमता का विकास होता है।
  • जो लोग कविता, साहित्य, कला या संगीत आदि में करियर बनाना चाहते हैं, उन्हें यह पाठ नियमित रूप से करना चाहिए।
  • सिद्ध नील सरस्वती स्तोत्र के प्रभाव से साधक सभी ज्ञात और अज्ञात भय से मुक्त हो जाता है।
  • इस स्तोत्र को सुनने से अनेक प्रकार की मानसिक समस्याओं का समाधान होता है।
  • यदि किसी बालक का मानसिक विकास सही नहीं हो रहा है, तो इस स्तोत्र का पाठ और श्रवण कराकर उसका मानसिक विकास सुचारु रूप से हो सकता है।

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