नाथ सम्प्रदाय – Nath Sampradaya Book
नाथ सम्प्रदाय भारत का एक हिंदू धार्मिक पन्थ है। मध्ययुग में उत्पन्न इस सम्प्रदाय में बौद्ध, शैव तथा योग की परम्पराओं का समन्वय दिखायी देता है। यह हठयोग की साधना पद्धति पर आधारित पंथ है। शिव इस सम्प्रदाय के प्रथम गुरु एवं आराध्य हैं। इसके अलावा इस सम्प्रदाय में अनेक गुरु हुए जिनमें गुरु मच्छिन्द्रनाथ /मत्स्येन्द्रनाथ तथा गुरु गोरखनाथ सर्वाधिक प्रसिद्ध हैं। नाथ सम्प्रदाय समस्त देश में बिखरा हुआ था। गुरु गोरखनाथ ने इस सम्प्रदाय के बिखराव और इस सम्प्रदाय की योग विद्याओं का एकत्रीकरण किया, अतः इसके संस्थापक गोरखनाथ माने जाते हैं।
नाथसम्प्रदाय में योगी और जोगी एकही सिक्के के दो पहलू हैं, एक जो सन्यासी जीवन और दुसरा गृहस्थ जीवन हैं। सन्यासी, योगी, जोगी, नाथ ,अवधूत ,कौल,कालबेलिया, गोस्वामी (बिहार),उपाध्याय (पश्चिम उत्तर प्रदेश में), नामों से जाना जाता है। इनके कुछ गुरुओं के शिष्य मुसलमान, जैन, सिख और बौद्ध धर्म के भी थे।
Nath Sampradaya Book – नाथ सम्प्रदाय के प्रमुख गुरु
आदिगुरू | आदियोगी आदिनाथ सर्वश्वर भगवान महादेव सदाशिव है।। (हिन्दू देवता) |
महर्षि मच्छेन्द्रनाथ | 8वीं या 9वीं सदी के योग सिद्ध, “तंत्र” परंपराओं और अपरंपरागत प्रयोगों के लिए मशहूर |
महायोगी गोरक्षनाथ (गोरखनाथ) | 10वीं या 11वीं शताब्दी में प्रगट, मठवादी नाथ संप्रदाय के संस्थापक, व्यवस्थित योग तकनीकों, संगठन , हठ योग के ग्रंथों के रचियता एवं निर्गुण भक्ति के विचारों के लिए प्रसिद्ध |
जालन्धरनाथ | 12वीं सदी के सिद्ध, मूल रूप से जालंधर (पंजाब) निवासी, राजस्थान और पंजाब क्षेत्र में ख्यातिप्राप्त |
कानीफनाथ | 14वीं सदी के सिद्ध, मूल रूप से बंगाल निवासी, नाथ सम्प्रदाय के भीतर एक अलग उप-परंपरा की शुरूआत करने वाले |
चौरंगीनाथ | बंगाल के राजा देवपाल के पुत्र, उत्तर-पश्चिम में पंजाब क्षेत्र में ख्यातिप्राप्त, उनसे संबंधित एक तीर्थस्थल सियालकोट (अब पाकिस्तान में) में हैl |
चर्पटीनाथ | हिमाचल प्रदेश के चंबा क्षेत्र में हिमालय की गुफाओं में रहने वाले, उन्होंने अवधूत का प्रतिपादन किया और बताया कि व्यक्ति को अपनी आन्तरिक शक्तियों को बढ़ाना चाहिए क्योंकि बाहरी प्रथाओं से हमें कोई फर्क नहीं पड़ता हैl |
भर्तृहरिनाथ | उज्जैन के राजा और विद्वान जिन्होंने योगी बनने के लिए अपना राज्य छोड़ दियाl |
गोपीचन्दनाथ | बंगाल की रानी के पुत्र जिन्होंने अपना राजपाट त्याग दिया था. |
रत्ननाथ | 13वीं सदी के सिद्ध, मध्य नेपाल और पंजाब में ख्यातिप्राप्त, उत्तर भारत में नाथ और सूफी दोनों सम्प्रदाय में आदरणीय |
धर्मनाथ | 15वीं सदी के सिद्ध, गुजरात में ख्यातिप्राप्त, उन्होंने कच्छ क्षेत्र में एक मठ की स्थापना की थी, किंवदंतियों के अनुसार उन्होंने कच्छ क्षेत्र को जीवित रहने योग्य बनाया . |
मस्तनाथ | 18वीं सदी के सिद्ध, उन्होंने हरियाणा में एक मठ की स्थापना की थी |