मुख्यमंत्री बाल आशीर्वाद योजना
मुख्यमंत्री बाल आशीर्वाद योजना का उददेश्य बाल देखरेख संस्थाओं को छोडने वाले 18 वर्ष से अधिक आयु के बालकों (आफ्टरकेयर) को आर्थिक एवं शैक्षणिक सहयोग देकर समाज में पुर्नस्थापित करना हैं और 18 वर्ष की आयु तक के अनाथ बच्चों को जो अपने सम्बंधियों अथवा संरक्षकों के साथ जीवन यापन कर रहे हैं, को आर्थिक सहायता (स्पॉन्सरशिप) उपलब्ध कराना।
मुख्यमंत्री बाल आशीर्वाद योजना की पात्रता
- मध्यप्रदेश के स्थानीय निवासी परिवार के 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चे, जिनके माता-पिता की मृत्यु हो चुकी है और वह रिश्तेदार अथवा संरक्षक की देखरेख में रह रहे हों तथा जो मुख्यमंत्री कोविड 19 बाल सेवा योजना के तहत् पात्रता में नहीं आते है ऐसे बच्चे योजना के अंतर्गत पात्र होंगे।
- आफ्टर केयर योजना के संदर्भ में बाल देखरेख संस्था में निर्मुक्ति दिनांक के वर्ष को सम्मिलित करते हुए निरंतर 05 वर्ष तक निवासरत बच्चे पात्र होंगे।
- अनाथ, परित्यक्त बालक की स्थिति में बाल देखरेख संस्था में निवास हेतु आवश्यक अवधि सम्बंधी पात्रता में छूट प्राप्त होगी।
- दत्तक ग्रहण, फॉस्टर केयर का लाभ प्राप्त न हो रहा हो, किन्तु बाल देखरेख संस्था में पुनः पुनर्वासित करवाया गया बालक तथा दत्तक ग्रहण, फॉस्टर केयर में रखने की अवधि की भी गणना, पात्रता अवधि में शामिल होगी ।
- आफ्टर केयर अन्तर्गत आर्थिक सहायता, इंटर्नशिप, व्यवसायिक प्रशिक्षण, शिक्षा हेतु निर्धारित समयावधि अथवा 24 वर्ष की आयु जो भी पहले हो, तक दी जायेगी।
मुख्यमंत्री बाल आशीर्वाद योजना आर्थिक सहायता
- आर्थिक सहायता – योजना के तहत् पात्र पाये गये प्रत्येक बच्चे को 4000/- प्रतिमाह की सहायता राशि दी जाएगी जो बच्चे एवं रिश्तेदार अथवा संरक्षक के संयुक्त खाते में जमा की जाएगी, जो न्यूनतम 01 वर्ष होगी। बालक अथवा परिवार की आर्थिक समृद्धता में सुधार न होने की स्थिति में अवधि में वृद्धि की जा सकेगी किन्तु किसी भी स्थिति में अधिकतम 18 वर्ष की आयु के पश्चात राशि देय नही होगी।
- चिकित्सा सहायता – चिकित्सा सहायता दिये जाने हेतु प्रत्येक बच्चे का आयुष्मान कार्ड स्वास्थ्य विभाग द्वारा बनाया जायेगा। जिला कार्यक्रम अधिकारी, महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा आयुष्मान कार्ड बनाये जाने हेतु बच्चों की सूची सहित आवश्यक जानकारी मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी को उपलब्ध करवायी जायेगी।
मुख्यमंत्री बाल आशीर्वाद योजना लाभान्वित करने की प्रक्रिया
- जिला कार्यक्रम अधिकारी /जिला बाल संरक्षण अधिकारी (महिला एवं बाल विकास विभाग) का यह दायित्व होगा कि वह ऐसे परिवारों की पहचान करे, जिन्हें इस योजना का लाभ दिया जा सकता है तथा उनसे संपर्क कर आवेदन भरवाएं। समस्त लाभ पोर्टल के माध्यम से दिए जाएंगे।
- जिला बाल संरक्षण इकाई द्वारा योजना के पोर्टल में दर्ज बच्चे की गृह अध्ययन की रिपोर्ट एवं परिवार की सामाजिक अन्वेषण रिपोर्ट मध्यप्रदेश (स्पॉंसरशिप) दिशा-निर्देश, 2020 में प्रावधानित प्रारूप में तैयार की जायेगी।
- गृह अध्ययन की रिपोर्ट एवं परिवार की सामाजिक अन्वेषण रिपोर्ट तथा अन्य दस्तावेजो की जांच के पश्चात ऐसे बच्चों की सूची तैयार बाल कल्याण समिति को प्रेषित की जायेगी।
- जिला बाल संरक्षण अधिकारी से प्राप्त सूची अनुसार बच्चों की सामाजिक अन्वेषण रिपोर्ट तथा अन्य दस्तावेजों की जांच एवं मूल्यांकन के आधार पर बाल कल्याण समिति, किशोर न्याय अधिनियम एवं नियम में दी गई प्रक्रिया का पालन करते हुये बच्चों को देखरेख और संरक्षण का जरूरतमंद बालक घोषित करेगी।
- योजना अंतर्गत उन्ही बच्चों को लाभ दिया जायेगा जिन्हें बाल कल्याण समिति द्वारा देखरेख और संरक्षण का जरूरतमंद बालक घोषित किया है। ऐसे चिन्हांकित सभी बच्चों की सूची जिला बाल संरक्षण अधिकारी द्वारा गृह अध्ययन एवं सामाजिक अन्वेषण रिपोर्ट के साथ उपरोक्त समिति के समक्ष अनुशंसा हेतु प्रेषित किये जायेगे।
- स्पॉन्सरशिप योजना अन्तर्गत परिवार/बालक की समृद्धता का परीक्षण एवं योजना अन्तर्गत लाभ की निरन्तरता अथवा समाप्ति का निर्धारण योजना अन्तर्गत गठित समिति के द्वारा किया जायेगा। यह स्वीकृति आदेश प्रत्येक हितग्राही हेतु प्रति वर्ष जारी किया जाऐगा एवं इसके लिये सम्पूर्ण प्रक्रिया समय से पहले ही सम्पादित की जायेगी। पोर्टल से ही स्वीकृति आदेश जारी किये जायेगे।