मानसिक चिकित्सा – Mansik Chikitsa Book
मानसिक चिकित्सा पुस्तक का उद्देश्य मन के गुप्त स्तरों का परिचय पाठकों को कराना है। अपने मन के विषय में प्रशान रहने के कारण ही हम अनेक प्रकार के दुःखों को भोगते हैं। हमारे मानसिक दुःख भौतिक दुःखों से कई गुने अधिक होते हैं। जो मनुष्य अपने मन को वश में कर के रख सकता है वही संसार में सुखी रह सकता है।
पुरिस्थतिजन्य दुःख हमारी मानसिक दुःखी अवस्था के परिणाम मात्र होते हैं। बन्धन-मोक्ष का कारण मनदी माना गया है। योगवासिष्ठ के कथनानुसार मन सर्वशक्तिमान है; संसार की अनुकूल और प्रतिकूल परिस्थितियाँ मन द्वारा निर्मित होती है। मन संसार का रचयिता है और यही सुख दुःख की सृष्टि करता है ।
मानसिक चिकित्सा – Mansik Chikitsa Book
हमारे अनेक रोग कल्पित माने जाते हैं। कल्पित रोगों से पीड़ित रहने वालों की संख्या वास्तविक रोगों से पीड़ित रहनेवालों की अपेक्षा अधिक होती है। बहुत से वास्तविक रोगों की भी जड़ मन में ही होती है। मन के शुद्ध हो जाने पर वे रोग अपने श्राप नष्ट हो जाते हैं। इस पुस्तक में मानसिक शुद्धि के कुछ वैज्ञानिक उपायों के ऊपर प्रकाश डाला गया है ।
रोग का आगमन रोकना उसका उपचार करने से सरल है। इस ग्रन्थ का मुख्य उद्देश्य प्रानेवाले रोग को रोकना है । यह जितना आत्म चिकित्सा के हेतु लिखा गया है उतना दूसरों की चिकित्सा के हेतु नहीं लिखा गया। पर अपने आपको समझने का सर्वोत्तम उपाय दूसरों को समझना और उनकी सहायता करना है।
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