कोकशास्त्र किताब (Kok Shastra) PDF

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Kok Shastra Book

कोकशास्त्र किताब (Kok Shastra)

कोकशास्त्र या रतिशास्त्र कामशास्त्र की किताब है, यह प्राचीन काल में लिखी गई किताब है। जिसमे सम्भोग या कामशास्त्र के बारेमें जानकारी दी है, नव विवाहित युगल किस तरह रहते है और अपने पारिवारिक जीवन आगे चलाते है उसके बारेमें लिखा गया है । प्राचीन कालमें ऐसा ही व्यवहार पा, किसी देशमे आजकल भी थहो व्यवहार देखने में आता है। नव विवाहित बालिका वधू पतिके ग्रह्में वकर कुछ दिनोंतक किसी के सङ्ग भी बात चीत नहीं करती, कन्या के समान सास के निकट ही रहती है, सासके पासही सोती है, रजोदर्शन से पूर्व पति की शव्या पर नहीं जाती; तथा सास, सुसर की सेवा करती रहती है, उन के पैर धोने को जल लाना, घर लीपना बर्तन मांजना, हल्दी पीसना, सास के सम्मुख बैठकर भोजन बनाना इत्यादि घर के काम ही करती रहती है।

प्रजापति ने एक लाख अध्यायों में एक विशाल ग्रंथ का प्रणयन कर कामशास्त्र का आंरभ किया, परंतु कालांतर में मानवों के कल्याण के लिए इसके संक्षेप प्रस्तुत किए गए। पौराणिक पंरपरा के अनुसार महादेव की इच्छा से “नंदी” ने एक सहस्र अध्यायों में इसका सार अंश तैयार किया जिसे और भी उपयोगी बनाने के लिए उद्दालक मुनि के पुत्र श्वेतकेतु ने पाँच सौ अध्यायों में उसे संक्षिप्त बनाया।

Kok Shastra

इसके अनन्तर पांचाल बाभव्य ने तृतीयांश में इसकी और भी संक्षिप्त किया—डेढ़ सौ अध्यायों तथा सात अधिकरणों में, कालांतर में सात महनीय आचार्यों ने प्रत्येक अधिकरण के ऊपर सात स्वतंत्र ग्रंथों का निर्माण किया—

  1. चारायण ने ग्रंथ बनाया साधारण अधिकरण पर,
  2. सुवर्णनाभ ने सांप्रयोगिक पर,
  3. घोटकमुख ने कन्या संप्रयुक्तक पर,
  4. गोनर्दीय ने भार्याधिकारिक पर,
  5. गोणिकापुत्र ने पारदारिक पर,
  6. दत्तक ने वैशिक पर तथा
  7. कुचुमार ने औपनिषदिक पर।

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