जगन्नाथ जी व्रत कथा – Jagannath Vrat katha & Pooja Vidhi
जगन्नाथ व्रत कथा और पूजा विधि PDF – चैत्र मास के सभी सोमवार को तिसुआ सोमवार का व्रत और पूजन किया जाता है। यह व्रत उन्हीं लोगों के घरों में होता है जिनके घर का कोई भी सदस्य श्री जगन्नाथ धाम की यात्रा कर आ चुका हो। इस व्रत में टेसु के पुष्प से पूजा करने का विधान है। इसलिए इस व्रत को तिसुआ सोमवार व्रत कहते हैं।
भगवान जगन्नाथ यह है कि उन्हें अक्सर विभिन्न अवसरों पर भगवान कृष्ण, नरसिंह और भगवान विष्णु के रूप में पूजा जाता है। भगवान जगन्नाथ, उनके बड़े भाई बलभद्र और उनकी बहन सुभद्रा का सबसे प्रसिद्ध मंदिर पुरी, उड़ीसा में स्थित है और यही कारण है कि जगन्नाथ यात्रा उड़ीसा में बहुत बड़े पैमाने पर उत्साह और खुशी के साथ मनाई जाती है।
Jagannath Vrat katha (जगन्नाथ स्वामी की कथा हिंदी में)
चैत्र मास में आने वाले चारों सोमवार को तिसुआ सोमवार कहा जाता है। इन सोमवार को भगवान श्री जगन्नाथ की उपासना की जाती है। पहले सोमवार को गुड़ से, दूसरे सोमवार को गुड़ और धनिया से, तीसरे सोमवार को पंचामृत से तथा चौथे सोमवार को कच्चा पक्का, हर तरह का पकवान बनाकर भगवान को भोग लगाया जाता है। इसके पश्चात पूजा की जाती है। माना जाता है कि इन चारों सोमवार पर श्रद्धा के साथ व्रत रखने से सभी कष्टों से मुक्ति मिलती है। मान्यता है कि सुदामा ने सबसे पहले भगवान श्री जगन्नाथ का पूजन किया था। पूजन के लिए सुदामाजी जगन्नाथ धाम गए। रास्ते में कई पीड़ितों को आश्वासन दिया कि भगवान श्री जगन्नाथ के दरबार में उनके सुख के लिए मन्नत मांगेंगे। बताया जाता है सुदामा की श्रद्धा देखकर भगवान जगन्नाथपुरी के बाहर एक ब्राह्मण के भेष में खड़े हो गए। सुदामा ने ब्राह्मण से जगन्नाथ धाम का पता पूछा तो भगवान ने बताया कि उनके पीछे जो आग का गोला है उसमें प्रवेश करने के बाद ही भगवान के दर्शन होंगे। सुदामा आग के गोले में प्रविष्ट होने के लिए बढ़े तो भगवान ने उन्हें साक्षात दर्शन दिए। सुदामा ने रास्ते में मिले सभी पीड़ितों के दुख दूर करने की प्रार्थना की तो भगवान जगन्नाथ ने उन्हें एक बेंत देकर कहा कि जिसे यह बेंत मारोगे उसके सभी कष्ट दूर हो जाएंगे। मान्यता है कि तब से चैत्र मास शुक्ल पक्ष शुरू होने पर श्रद्धालु भक्तिपूर्वक सोमवार को भगवान जगन्नाथ का पूजन-अर्चन करते हैं और उनके बेंत खाकर अपने कष्ट दूर करने की प्रार्थना करते हैं।
जगन्नाथ पूजा विधि
- पीले वस्त्र धारण करके भगवान जगन्नाथ का पूजन करें।
- भगवान जगन्नाथ, सुभद्रा और बलभद्र के चित्र या मूर्ति की स्थापना करें।
- उनको चन्दन लगायें , विभिन्न भोग प्रसाद और तुलसीदल अर्पित करें।
- उनको फूलों से सजाएँ और उनके समक्ष घी का दीपक जलाएं।
- इसके बाद गजेंद्र मोक्ष का पाठ करें, या गीता के ग्यारहवें अध्याय का पाठ करें।
- इसके बाद सभी लोग मिलकर “हरि बोल – हरि बोल” का कीर्तन करें।
- फिर साथ में मिलकर प्रसाद ग्रहण करें।
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