Durge Durgat Bhari Aarti (दुर्गे दुर्घट भारी आरती) PDF

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Durge Durgat Bhari Aarti (दुर्गे दुर्घट भारी आरती)

Durge Durgat Bhari Aarti (दुर्गे दुर्घट भारी आरती)

आश्विन शुक्ल प्रतिपदा से नवमी तक नवरात्रि पर्व मनाया जाता है। इस दौरान, देवी की पूजा, उपवास, जप, और हवन पूरे देश में विभिन्न तरीकों और परंपराओं के अनुसार किए जाते हैं। नवरात्रि का यह त्यौहार भक्तों के लिए विशेष होता है और इस समय मां दुर्गा की आरती का महत्व अत्यधिक बढ़ जाता है।

अगर आप मां दुर्गा की शक्ति प्राप्त करना चाहते हैं, तो आपको पूर्ण श्रद्धा और नियम से ‘दुर्गे दुर्घट भारी’ आरती करनी चाहिए। यह आरती आपके जीवन की हर लड़ाई में सहायता करेगी और आपके प्रयासों में जीत दिलाने में मदद करेगी। ‘दुर्गे दुर्गट भारी तुजविण संसारी’ एक प्रसिद्ध मराठी भक्तिगीत है जो देवी दुर्गा की स्तुति के लिए गाया जाता है।

नवरात्रि में दुर्गे दुर्घट भारी आरती का महत्व

नौ रातों का यह हिंदू त्योहार नवरात्रि के दौरान, भक्तजन इस आरती को गाते हैं। देवी दुर्गा का यह रूप सबसे लोकप्रिय है और देवी शक्ति के मुख्य प्रतीकों में से एक मानी जाती है। ‘दुर्गा’ का अर्थ है दुखों का नाश करने वाली।

दुर्गे दुर्घट भारी आरती (Durge Durgat Bhari Aarti Lyrics)

दुर्गे दुर्घट भारी तुजविण संसारी ।
अनाथनाथे अंबे करुणा विस्तारी ॥

वारी वारीं जन्ममरणाते वारी ।
हारी पडलो आता संकट नीवारी ॥ १ ॥

जय देवी जय देवी जय महिषासुरमथनी ।
सुरवरईश्वरवरदे तारक संजीवनी ॥ धृ. ॥

त्रिभुवनी भुवनी पाहतां तुज ऎसे नाही ।
चारी श्रमले परंतु न बोलावे काहीं ॥

साही विवाद करितां पडिले प्रवाही ।
ते तूं भक्तालागी पावसि लवलाही ॥ २ ॥

प्रसन्न वदने प्रसन्न होसी निजदासां ।
क्लेशापासूनि सोडी तोडी भवपाशा ॥

अंबे तुजवांचून कोण पुरविल आशा ।
नरहरि तल्लिन झाला पदपंकजलेशा ॥ ३ ॥

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