Durga Stuti – श्री दुर्गा स्तुति पाठ
दुर्गा स्तुति का पाठ माँ दुर्गा की स्तुति और उनकी महिमा का वर्णन करने के लिए किया जाता है। इसमें माँ दुर्गा को शक्ति, साहस, और रक्षा का प्रतीक माना जाता है। दुर्गा स्तुति में उनके नौ रूपों का गुणगान किया जाता है, जिन्हें नवदुर्गा कहा जाता है। इस पाठ से शक्ति, साहस, और मन की शांति प्राप्त होती है।
दुर्गा स्तुति / Durga Stuti Book PDF के नियमित पाठ से मन को शांति मिलती है और आपके जीवन से सभी बुराई दूर होती है और आप स्वस्थ, धनवान और समृद्ध बनते हैं। सर्वोत्तम परिणाम प्राप्त करने के लिए आपको सुबह स्नान करने के बाद और देवी दुर्गा की मूर्ति या तस्वीर के सामने दुर्गा स्तुति का पाठ करना चाहिए। इसके प्रभाव को अधिकतम करने के लिए आपको सबसे पहले दुर्गा स्तुति का मतलब हिंदी में समझना चाहिए।
दुर्गा स्तुति इन हिंदी – Durga Stuti
जय भगवति देवि नमो वरदे जय पापविनाशिनि बहुफलदे।
जय शुम्भनिशुम्भकपालधरे प्रणमामि तु देवि नरार्तिहरे॥1॥
जय चन्द्रदिवाकरनेत्रधरे जय पावकभूषितवक्त्रवरे।
जय भैरवदेहनिलीनपरे जय अन्धकदैत्यविशोषकरे॥2॥
जय महिषविमर्दिनि शूलकरे जय लोकसमस्तकपापहरे।
जय देवि पितामहविष्णुनते जय भास्करशक्रशिरोवनते॥3॥
जय षण्मुखसायुधईशनुते जय सागरगामिनि शम्भुनुते।
जय दु:खदरिद्रविनाशकरे जय पुत्रकलत्रविवृद्धिकरे॥4॥
जय देवि समस्तशरीरधरे जय नाकविदर्शिनि दु:खहरे।
जय व्याधिविनाशिनि मोक्ष करे जय वाञ्छितदायिनि सिद्धिवरे॥5॥
एतद्व्यासकृतं स्तोत्रं य: पठेन्नियत: शुचि:।
गृहे वा शुद्धभावेन प्रीता भगवती सदा॥6॥
श्री दुर्गा स्तुति पाठ विधि
- ब्रह्म मुहूर्त में उठते समय जय जगदम्बे जय जय अम्बे का ग्यारह बार मुँह में जाप करें।
- शौच आदि से निवृत हो कर स्नान करने के बाद लाल रूमाल कन्धे पर रखकर पाठ करें।
- मौली दाई कलाई पर बांधे या बंधवा लें । आसन पर चौकड़ी लगा कर (बैठ कर ) हाथ जोड़ कर बोलें :
- पौना वाली माता जी तुहाडी सदा ही जय। ” भगवती मां के सामने घी की जोत जला कर पाठ प्रारम्भ करें।
श्री दुर्गा स्तुति पाठ – Durga Stuti in Hindi
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