Durga Kavach Gita Press Gorakhpur PDF

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Durga Kavach Gita Press Gorakhpur

Durga Kavach Gita Press Gorakhpur

दुर्गा कवच का पाठ करने से माँ दुर्गा आपके सारे दुखों को मिटा देती हैं तथा आपको जीवनभर खुशहाल जीवन जीने की प्रेरणा देती हैं। दुर्गा सप्तशती कवच हिंदी पीडीएफ में आपको दुर्गा माँ की आरती, पूजा विधि तथा अन्य महत्वपूर्ण चीज़ें पढ़ने को मिलेंगी। दुर्गा सप्तशती हिन्दू धर्म का सर्वमान्य ग्रंथ है।

Durga Kavach Gita Press Gorakhpur – अद्भुत लाभ

श्री दुर्गा सभी दिव्य बलों का एकीकृत प्रतीक हैं। कहा जाता है कि जब महिषासुर ने मनुष्यों और देवताओं के अस्तित्व को खतरे में डाल दिया था, तब देवी ने उनकी रक्षा की थी। अनादि काल से, देवी को सर्वोच्च शक्ति के रूप में पूजा जाता है। कई हिंदू धर्मग्रंथों – जैसे कि वाजसनेयी संहिता, यजुर्वेद और तैत्तरीय ब्राह्मण में उनका उल्लेख किया गया है।

देवी कवच में शरीर के समस्त अंगों का उल्लेख है। देवी कवच को पढ़ते जाइए और भगवती से कामना करते रहें कि हम निरोगी रहें:
ॐ नमश्चण्डिकायै।

॥मार्कण्डेय उवाच॥
ॐ यद्गुह्यं परमं लोके सर्वरक्षाकरं नृणाम्। यन्न कस्य चिदाख्यातं तन्मे ब्रूहि पितामह॥1॥

अर्थ :- मार्कण्डेय जी ने कहा, “हे पितामह! जो इस संसार में परम गोपनीय और मनुष्यों की सभी प्रकार से रक्षा करने वाला है, वह मुझे बताइये जो आपने किसी के सामने प्रकट नहीं किया।”

॥ब्रह्मोवाच॥
अस्ति गुह्यतमं विप्र सर्वभूतोपकारकम्‌। देव्यास्तु कवचं पुण्यं तच्छृणुष्व महामुने॥2॥

अर्थ :- ब्रह्मन्! देवी का कवच गोपनीय से भी परम गोपनीय और पवित्र है, जो सम्पूर्ण प्राणियों का लाभ करता है।

प्रथमं शैलपुत्री च द्वितीयं ब्रह्मचारिणी। तृतीयं चन्द्रघण्टेति कूष्माण्डेति चतुर्थकम्‌॥3。

अर्थ :- पहले दुर्गा का रूप शैलपुत्री है। दूसरी मूर्तिका ब्रह्मचारिणी है। तीसरा स्वरूप चन्द्रघण्टा है। चौथी मूर्ति का नाम कूष्माण्डा है।

पंचमं स्कन्दमातेति षष्ठं कात्यायनीति च। सप्तमं कालरात्रीति महागौरीति चाष्टमम्‌॥4。

अर्थ :- पाँचवी दुर्गा का नाम स्कन्दमाता है। देवी के छठे रूप का नाम कात्यायनी है। सातवाँ कालरात्रि और आठवाँ स्वरूप महागौरी है।

नवमं सिद्धिदात्री च नवदुर्गाः प्रकीर्तिताः। उक्तान्येतानि नामानि ब्रह्मणैव महात्मना॥5。

अर्थ :- नववीं दुर्गा का नाम सिद्धिदात्री है। ये सभी नाम सर्वज्ञ महात्मा वेदभगवान् के द्वारा प्रतिपादित हुए हैं।

अग्निना दह्यमानस्तु शत्रुमध्ये गतो रणे। विषमे दुर्गमे चैव भयार्ताः शरणं गताः॥6。

अर्थ :- जो मनुष्य अग्नि में जल रहा हो, रणभूमि में शत्रुओं से घिर गया हो, विषम संकट में फँस गया हो, भगवती दुर्गा की शरण में जाकर वे हमेशा सुरक्षित रहते हैं।

न तेषां जायते किञ्चिदशुभं रणसङ्कटे। नापदं तस्य पश्यामि शोकदुःखभयं न ही॥7。

अर्थ :- संकट के समय युद्ध में उनका कोई अपयश नहीं होता।

यैस्तु भक्त्या स्मृता नूनं तेषां वृद्धिः प्रजायते। ये त्वां स्मरन्ति देवेशि रक्षसे तान्न संशयः॥8。

अर्थ :- जिनकी आप भक्तिपूर्वक स्मृति करते हैं, उनकी निश्चित वृद्धी होती है। भवती देवेश्वरि, आप उन्हें अवश्य सुरक्षा देती हैं।

प्रेतसंस्था तु चामुण्डा वाराही महिषासना। ऐन्द्री गजसमारूढा वैष्णवी गरुडासना॥9。

अर्थ :- चामुण्डा देवी प्रेत पर बैठती हैं। वाराही भैंस पर सवारी करती हैं। ऐन्द्री का वाहन ऐरावत हाथी है। वैष्णवी देवी गरुड़ पर विराजमान होती हैं।

माहेश्वरी वृषारूढा कौमारी शिखिवाहना। लक्ष्मी: पद्मासना देवी पद्महस्ता हरिप्रिया॥10。
अर्थ :- माहेश्वरी वृषभ पर बैठती हैं। कौमारी का मयूर है। भगवान् विष्णु की प्रियतमा लक्ष्मी देवी कमल के आसन पर विराजमान हैं, और हाथों में कमल धारण किए हुए हैं।

श्वेतरूपधारा देवी ईश्वरी वृषवाहना। ब्राह्मी हंससमारूढा सर्वाभरणभूषिता॥11。

अर्थ :- ईश्वरी देवी ने श्वेत रूप धारण कर रखा है। ब्राह्मी देवी हंस पर बैठी हुई हैं और सब प्रकार के आभूषणों से विभूषित हैं।

दृश्यन्ते रथमारूढा देव्याः क्रोधसमाकुला:। शङ्खं चक्रं गदां शक्तिं हलं च मुसलायुधम्॥13。

अर्थ :- ये सम्पूर्ण देवियाँ क्रोध में भरी हुई हैं और भक्तों की रक्षा के लिए रथ पर बैठी दिखाई देती हैं। ये शङ्ख, चक्र, गदा, शक्ति, हल और मूसल, खेटक और तोमर जैसे अद्भुत अस्त्र धारण करती हैं।

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