दो बैलों की कथा प्रश्न उत्तर
Do Bailon ki Katha Question Answer
प्रश्न 1. कांजीहौस में कैद पशुओं की हाज़िरी क्यों ली जाती होगी?
उत्तर- कांजीहौस एक प्रकार से पशुओं की जेल थी। उसमें ऐसे आवारा पशु कैद होते थे जो दूसरों के खेतों में घुसकर फसलें नष्ट करते थे। अत: कांजीहौस के मालिक का यह दायित्व होता था कि वह उन्हें जेल में सुरक्षित रखे तथा भागने न दे। इस कारण हर रोज उनकी हाजिरी लेनी पड़ती होगी।
प्रश्न 2. छोटी बच्ची को बैलों के प्रति प्रेम क्यों उमड़ आया?
उत्तर- छोटी बच्ची की माँ मर चुकी थी। सौतेली माँ उसे मारती रहती थी। इधर बैलों की भी यही स्थिति थी। गया उन्हें दिनभर खेत में जोतता, मारता-पीटता और शाम को सूखा भूसा डाल देता। छोटी बच्ची महसूस कर रही थी कि उसकी स्थिति और बैलों की स्थिति एक जैसी है। उनके साथ अन्याय होता देखा उसे बैलों के प्रति प्रेम उमड़ आया।
प्रश्न 3. कहानी में बैलों के माध्यम से कौन-कौन से नीति-विषयक मूल्य उभर कर आए हैं?
उत्तर- इस कहानी के माध्यम से निम्नलिखित नीतिविषयक मूल्य उभरकर सामने आए हैं
- सरल-सीधा और अत्यधिक सहनशील होना पाप है। बहुत सीधे इनसान को मूर्ख या ‘गधा’ कहा जाता है।
- इसलिए मनुष्य को अपने अधिकारों के लिए संघर्ष करना चाहिए।
- आज़ादी बहुत बड़ा मूल्य है। इसे पाने के लिए मनुष्य को बड़े-से-बड़ा कष्ट उठाने को तैयार रहना चाहिए।
- समाज के सुखी-संपन्न लोगों को भी आजादी की लड़ाई में योगदान देना चाहिए।
प्रश्न 4. प्रस्तुत कहानी में प्रेमचंद ने गधे की किन स्वभावगत विशेषताओं के आधार पर उसके प्रति रूढ़ अर्थ ‘मूर्छ प्रयोग न कर किस नए अर्थ की ओर संकेत किया है?
उत्तर- गधा सबसे बुद्धिहीन प्राणी माना जाता है। यदि किसी को मूर्ख कहना चाहते हैं तो हम उसे गधा कह देते हैं। गधा ‘मूर्ख’ के अर्थ में रुढ़ हो गया है परंतु लेखक ने इसे सही नहीं माना क्योंकि गधा अपने सीधेपन और सहनशीलता से किसी को हानि नहीं पहुँचाता है। गाय, कुत्ता और बैल जैसे जानवर कभी-कभी क्रोध कर देते हैं पर गधा ऐसा नहीं करता है। गुणों के विषय में वह ऋषियों-मुनियों से कम नहीं है।
प्रश्न 5. किन घटनाओं से पता चलता है कि हीरा और मोती में गहरी दोस्ती थी?
उत्तर- इस कहानी में अनेक घटनाएँ ऐसी हैं जिनसे पता चलता है कि मोती और हीरा में गहरी दोस्ती थी।
- पहली घटना-
दोनों एक-साथ गाड़ी में जोते जाते थे तो यह कोशिश करते थे कि गाड़ी का अधिक भार दूसरे साथी के कंधे पर न आकर उसके अपने कंधे पर आए। - दूसरी घटना-
गया ने हीरा के नाक पर डंडा मारा तो मोती से सहा न गया। वह हल, रस्सी, जुआ, जोत सब लेकर भाग पड़ा। उससे हीरा का कष्ट देखा न गया। - तीसरी घटना-
जब मटर के खेत में मटर खाकर दोनों मस्त हो रहे तो वे सींग मिलाकर एक-दूसरे को ठेलने लगे। अचानक मोती को लगा कि हीरा क्रोध में आ गया है तो वह पीछे हट गया। उसने दोस्ती को दुश्मनी में बदलने से रोक लिया। - चौथी घटना-
जब उनके सामने विशालकाय साँड आ खड़ा हुआ तो उन्होंने योजनापूर्वक एक-दूसरे का साथ देते हुए उसका मुकाबला किया। साँड एक पर चोट करता तो दूसरा उसकी देह में अपने नुकीले सींग चुभा देता। आखिरकार साँड बेदम होकर गिर पड़ा। - पाँचवीं घटना-
मोती मटर के खेत में मटर खाते-खाते पकड़ा गया। हीरा उसे अकेला विपत्ति में देखकर वापस आ गया। वह भी मोती के साथ पकड़ा गया। - छठी घटना-
काँजीहौस में हीरा ने दीवार तोड़ डाली। उसे रस्सियों से बाँध दिया गया। इस पर मोती ने उसका साथ दिया। पहले तो उसने बाड़े की दीवार तोड़कर हीरा का अधूरा काम पूरा किया, फिर उसका साथ देने के लिए उसी के साथ बँध गया।
प्रश्न 6. लेकिन औरत जात पर सींग चलाना मना है, यह भूल जाते हो।’-हीरा के इस कथन के माध्यम से स्त्री के प्रति प्रेमचंद के दृष्टिकोण को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर – लेकिन औरत जात पर सींग चलाना मना है। हीरा के इस कथन के माध्यम से पता चलता है कि प्रेमचंद नारी जाति का अत्यधिक सम्मान करते थे। नारी विभिन्न रिश्ते बनाकर समाज में अपनी भूमिका का निर्वहन करती है। वह त्याग, दया, ममता, सहनशीलता का जीता जागता उदाहरण है। विपरीत परिस्थितियों में यदि नारी में क्रोध जैसे भाव आ भी जाते हैं तो इससे उसकी गरिमा कम नहीं हो जाती है और न उसके सम्मान में कमी आ जाती है। लेखक महिलाओं के प्रति अत्यधिक सम्मान रखता है। उसने यह भी कहना चाहा है कि जब पशु भी नारी जाति का सम्मान करते हैं तो मनुष्य को नारी जाति का सम्मान हर स्थिति में करना चाहिए।
प्रश्न 7. किसान जीवन वाले समाज में पशु और मनुष्य के आपसी संबंधों को कहानी में किस तरह व्यक्त किया गया है?
उत्तर- किसान जीवन में पशुओं और मनुष्यों के आपसी संबंध बहुत गहरे तथा आत्मीय रहे हैं। किसान पशुओं को घर के सदस्य की भाँति प्रेम करते रहे हैं और पशु अपने स्वामी के लिए जी-जान देने को तैयार रहे हैं। झूरी हीरा और मोती को बच्चों की तरह स्नेह करता था। तभी तो उसने उनके सुंदर-सुंदर नाम रखे-हीरा-मोती। वह उन्हें अपनी आँखों से दूर नहीं करना चाहता था। जब हीरा-मोती उसकी ससुराल से लौटकर वापस उसके थाने पर आ खड़े हुए तो उसका हृदय आनंद से भर गया। गाँव-भर के बच्चों ने भी बैलों की स्वामिभक्ति देखकर उनका अभिनंदन किया। इससे पता चलता है कि किसान अपने पशुओं से मानवीय व्यवहार करते हैं।
प्रश्न 8. इतना तो हो ही गया कि नौ दस प्राणियों की जान बच गई। वे सब तो आशीर्वाद देंगें’-मोती के इस कथन के आलोक में उसकी विशेषताएँ बताइए।
उत्तर- इतना तो हो ही गया कि नौ-दस प्राणियों की जान बच गई। वे सब तो आशीर्वाद देंगे। मोती के इस कथन से पता चलता है कि वह परोपकारी स्वभाव वाला प्राणी है। परोपकार की ऐसी भावना वह मन में ही नहीं रखता है बल्कि इसे व्यावहारिक रूप में दर्शाता भी है। वह बाड़े की कच्ची दीवार को तोड़कर नौ-दस प्राणियों को भगाता है ताकि उनकी जान बच जाए। मोती सच्चा मित्र भी है। वह कांजीहौस में हीरा को अकेला छोड़कर नहीं जाता है। वह आशावादी भी है। उसे विश्वास है कि ईश्वर उनकी जान अवश्य बचाएँगे।
प्रश्न 9. आशय स्पष्ट कीजिए
(क) अवश्य ही उनमें कोई ऐसी गुप्त शक्ति थी, जिससे जीवों में श्रेष्ठता का दावा करने वाला मनुष्य वंचित है।
(ख) उस एक रोटी से उनकी भूख तो क्या शांत होती; पर दोनों के हृदय को मानो भोजन मिल गया।
उत्तर-
(क) हीरा और मोती बिना कोई वचन कहे एक-दूसरे के मन की बात समझ जाते थे। प्रायः वे एक-दूसरे से स्नेह की बातें सोचते थे। यद्यपि मनुष्य स्वयं को सब प्राणियों से श्रेष्ठ मानता है किंतु उसमें भी यह शक्ति नहीं होती।
(ख) हीरा और मोती गया के घर बँधे हुए थे। गया ने उनके साथ अपमानपूर्ण व्यवहार किया था। इसलिए वे क्षुब्ध थे। परंतु तभी एक नन्हीं लड़की ने आकर उन्हें एक रोटी ला दी। उस रोटी से उनका पेट तो नहीं भर सकता था। परंतु उसे खाकर उनका हृदय जरूर तृप्त हो गया। उन्होंने बालिका के प्रेम का अनुभव कर लिया और प्रसन्न हो उठे।
प्रश्न 10. गया ने हीरा-मोती को दोनों बार सूखा भूसा खाने के लिए दिया क्योंकि-
(क) गया पराये बैलों पर अधिक खर्च नहीं करना चाहता था।
(ख) गरीबी के कारण खली आदि खरीदना उसके बस की बात न थी।
(ग) वह हीरा-मोती के व्यवहार से बहुत दुखी था।
(घ) उसे खली आदि सामग्री की जानकारी न थी।
(सही उत्तर के आगे (✓) का निराश लगाइए।)
उत्तर- (ग) वह हीरा-मोती के व्यवहार से दुखी था।