बुध प्रदोष व्रत कथा – Pradosh Vrath Katha Wednesday PDF

0.66 MB / 8 Pages
0 likes
share this pdf Share
DMCA / report this pdf Report
बुध प्रदोष व्रत कथा – Pradosh Vrath Katha Wednesday
Preview PDF

बुध प्रदोष व्रत कथा – Pradosh Vrath Katha Wednesday

बुधवार (Budh) के दिन पड़ने वाले प्रदोष व्रत को बुध प्रदोष व्रत कहते हैं। इस दिन भगवान शंकर की विधि-विधान से पूजा की जाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, प्रदोष व्रत के दिन विधि-विधान से भगवान शिव की पूजा और व्रत रखने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। संकटों से मुक्ति मिलती है। जीवन में सुख, शांति और समृद्धि आती है।

सनातन हिंदु धर्म में प्रदोष व्रत का विशेष महत्व है। यह व्रत मास की हर त्रयोदशी को रखा जाता है। शास्त्रों के अनुसार कलयुग में भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए यह सर्वोत्तम उपाय है। प्रदोष काल मंत भगवान शिव की विधि विधान से पूजा अर्चना करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है और सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।

बुधवार  प्रदोष व्रत कथा – Wednesday Pradosh Vrat Katha

बुध (Wednesday) प्रदोष व्रत की कथा के अनुसार, एक पुरुष था जिसका नया-नया विवाह हुआ था। विवाह के मात्र 2 दिन बाद ही उसकी पत्नी मायके चली गई। कुछ दिन बाद वह पुरुष अपनी पत्नी को वापस लेने गया। इस दिन बुधवार था। बुधवार होने के चलते ससुराल पक्ष ने व्यक्ति को रोकने की कोशिश की। उनके अनुसार, विदाई के दिन बुधवार का दिन शुभ नहीं होता है। लेकिन उसे इस बात पर यकीन नहीं था इसलिए वो अपनी पत्‍नी के साथ चल पड़ा। जैसे ही वो नगर के बाहर तक पहुंचा तो उसकी पत्नी को प्यास लगी। वह अपनी पत्नी के लिए पानी लेने के लिए चल पड़ा। उसकी पत्नी एक पेड़ के नीचे बैठ गई। कुछ देर बाद वो पानी लेकर वापस लौटा तो उसने देखा कि उसकी पत्नी हंस-हंसकर किसी से बात कर रही थी। वो उसी के साथ लोटे से पानी पी रही थी। यह देख उसे बेहद क्रोध आ गया।

बुध प्रदोष पूजा विधि

इस दिन सुबह स्नान आदि कर निवृत हो जाएं। स्नान करने के बाद साफ और स्वच्छ वस्त्र धारण करें। मंदिर में भगवान शिव के सामने दीप प्रज्जवलित करें। तथा भोलेनाथ के मंत्रों का जाप कर जलाभिषेक करें और साथ ही माता पार्वती और विघ्नहर्ता भगवान गणेश की भी पूजा अर्चना करें। फिर प्रदोष काल से पहले स्नान कर श्वेत वस्त्र धारण करें, ये वस्त्र आपके एकदम स्वच्छ होने चाहिए। इस समय आप मंदिर या घर कहीं भी पूजा कर सकते हैं।

यदि आप घर में भगवान शिव की पूजा कर रहे हैं तो एक चौकी पर स्वच्छ वस्त्र बिछाएं और उसपर भगवान शिव, माता पार्वती और विघ्नहर्ता भगवान गणेश की मूर्ति स्थापित करें। ध्यान रहे पूजा के समय चौकी पर शिवलिंग जरूर स्थापित करें। पूजा करते समय आपका मुख पूर्व या उत्तर दिशा में होना चाहिए। पूजा की शुरुआत माता पार्वती और भगवान गणेश को तिलक लगाकर करें। फिर भगवान शिव को पंचाम्रत से स्नान करवाएं। जलाभिषेक कराते समय ध्यान रहे की जलधारा नहीं टूटनी चाहिए। शिवलिंग पर भस्म, धतूरा, भांग अर्पित करें। फिर भगवान शिव को सात्विक चीजों का भोग लगाएं। इस दिन आपको निराहार रहना है। इस दौरान आप फलाहार चीजों का ही सेवन कर सकते हैं।

बुध प्रदोष व्रत के नियम-

  1. प्रदोष व्रत करने के लिए व्रती को त्रयोदशी के दिन सुबह जल्दी उठना चाहिए।
  2. नहाकर भगवान शिव का ध्यान करना चाहिए।
  3. इस व्रत में भोजन ग्रहण नहीं किया जाता है।
  4. गुस्सा या विवाद से बचकर रहना चाहिए।
  5. प्रदोष व्रत के दिन ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए।
  6. इस दिन सूर्यास्त से एक घंटा पहले नहाकर भगवान शिव की पूजा करनी चाहिए।
  7. प्रदोष व्रत की पूजा में कुशा के आसन का प्रयोग करना चाहिए।

प्रदोष व्रत से जुड़ी सावधानियां

  • इस दिन काले वस्त्र नहीं पहनने चाहिए
  • अगर आप प्रदोष का व्रत रख रहे हों तो भोजन का सेवन न करें, फलाहार से ही व्रत करें
  • इस दिन बेवजह गुस्सा या क्रोध न करें, वाणी पर संयम रखें
  • पूजा करने के दौरान कुश नाम की घास से बने आसन का ही प्रयोग करें
  • इस दिन मांसाहारी भोजन और शराब आदि का सेवन न करें

You can download the बुध प्रदोष व्रत कथा PDF (Pradosh Vrat Katha on Wednesday PDF) using the link given below

Download बुध प्रदोष व्रत कथा – Pradosh Vrath Katha Wednesday PDF

Free Download
Welcome to 1PDF!