The Bharatiya Sakshya Adhiniyam Act 2023
भारतीय साक्ष्य अधिनियम 2023, जिसे “भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 1872” के स्थान पर लाया गया है, में कई महत्वपूर्ण बदलाव और अद्यतन शामिल हैं जो वर्तमान तकनीकी और सामाजिक परिप्रेक्ष्य के अनुरूप हैं। इस नए अधिनियम का उद्देश्य साक्ष्य कानून को अधिक समकालीन और तकनीकी रूप से सुसंगत बनाना है, ताकि न्यायिक प्रक्रिया में पारदर्शिता और दक्षता सुनिश्चित की जा सके।
भारतीय साक्ष्य अधिनियम 2023 के मुख्य बिंदु
- संरचना और विभाजन:
- अधिनियम को चार भागों में विभाजित किया गया है: भाग I में प्रारंभिक धाराएँ हैं, भाग II में तथ्यों की प्रासंगिकता, भाग III में प्रमाण और भाग IV में साक्ष्य का उत्पादन और प्रभाव शामिल हैं।
- इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल रिकॉर्ड्स की मान्यता:
- अधिनियम की धारा 2(d) के तहत, दस्तावेज़ की परिभाषा में अब इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल रिकॉर्ड्स भी शामिल हैं। यह महत्वपूर्ण बदलाव यह सुनिश्चित करता है कि डिजिटल फॉर्मेट में को भी विधिक रूप से मान्यता प्राप्त हो।
- धारा 65B का सरलीकरण:
- इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड्स को प्रमाणित करने के लिए आवश्यक प्रमाणपत्र की शर्तों को सरल बनाया गया है, जिससे इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्यों की स्वीकृति आसान हो गई है।
- गवाहों का बयान और परीक्षण:
- गवाहों के बयानों के लिए नई व्यवस्थाएं की गई हैं, जिसमें डिजिटल और इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों के उपयोग की के प्रावधान में भी संशोधन किया गया है, ताकि पहले की खामियों को दूर किया जा सके।
- प्रासंगिकता और स्वीकार्यता:
- साक्ष्य के रूप में पेश किए जाने वाले सभी दस्तावेज़, जिनमें इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड्स भी शामिल हैं, को अब समान दर्जा दिया गया है। इसके अलावा, “प्रमाणित तथ्य” औ पुराने अधिनियम के समान ही बनाए गए हैं।