असली पुराना इन्द्रजाल
असली पुराना इन्द्रजाल शिवजी महाराज का रचा हुआ पुराना इन्द्रजाल ग्रन्थ हैं अतः इसे पवित्र स्थान पर रखना और शरीर व मन पवित्र रखकर इसे हाथ में लेना अथवा पाठ करना चाहिए। श्रद्धालु सज्जन गल्ले, तिजोरी, ट्रंक, अल्मारी में रखें। असली इंद्रजाल का मतलब जादू का खेल है कहा जाता है, इसमें दर्शकों को मंत्रमुग्ध करके उनमें भ्रांति उत्पन्न की जाती है। फिर जो ऐंद्रजालिक चाहता है वही दर्शकों को दिखाई देता है। अपनी मंत्रमाया से वह दर्शकों के वास्ते दूसरा ही संसार खड़ा कर देता है।
सन् 1818 का असली प्राचीन इन्द्रजाल नवखण्ड महाइन्द्रजाल समस्त जीवों के अधिपति, सम्पूर्ण सृष्टि के कर्ता-धर्ता, प्राचीन भारतीय विद्याओं में सर्वाधिक सर्वप्रिय मंत्र-तंत्र के प्रणेता भगवान् शंकर जी एवं महाकाली सहित सभी दश महाविद्याओं की अपार अनुकम्पा से इस प्राचीन ग्रन्थ को पुनः परिववर्द्धित करके प्रस्तुत करनेवाले महान् लेखक विश्वविख्यात तांत्रिक बहल, बैकुण्ठवासी योगीराज श्री यशपाल जी, श्री निषादजी भैरमगढ़ी, अतवार सिंह अटवाल, दिवेश भट्ट इन सभी महानुभावों ने योगदान दिया है।
इस असली पुराना इन्द्रजाल की मदद से संतान प्राप्ति, शत्रु बाधा, नजर दोष से बचने के लिए इन्द्रजाल (Indrajaal Benefits) का प्रयोग लाभकारी होता है। शस्त्रों के अनुसार, जिस घर में इन्द्रजाल (Indrajaal Benefits) होता है वहां भूत-प्रेत, जादू-टोने का प्रभाव नहीं पड़ता। इन्द्रजाल (Indrajaal Benefits) को घर के मंदिर में रखने से बुरी नजर नहीं लगती।