आरती कुंजबिहारी की (Krishna Aarti Lyrics)
भगवान कृष्ण, यादव वंश के राजा श्री वासुदेव और मथुरा के राजा कंस की बहन श्री देवकी के पुत्र थे| श्री देवकी के विवाह के दिन आकाशवाणी हुई कि कंस को देवकी के आठवें पुत्र द्वारा मार दिया जाएग। इसलिए कंस ने वासुदेव और देवकी को जेल में डाल दिया और उनके आठवीं संतान तक उनके सभी बच्चों को मारना शुरू कर दिय।
कृष्ण जन्माष्टमी पर भगवान कृष्ण उसी जेल में जन्मे लेकिन उस दिन भगवान् के चमत्कार फलस्वरूप श्री वासुदेव कृष्ण जी को कंस से बचाने के लिए उन्हें नंदगाँव में अपने मित्र नंद बाबा और उनकी पत्नी यशोदा को सौंप आये। भगवान कृष्ण के जन्म लेने की ख़ुशी में इस दिन कृष्ण जन्माष्टमी मनाया जाता है।
जन्माष्टमी पूजा विधि एवं मुहूर्त
- इस दिन सुबह जल्दी उठकर घर के मंदिर को अच्छे से साफ कर लें।
- फिर एक साफ चौकी पर पीले रंग का वस्त्र बिछाएं और चौकी पर बाल गोपाल की प्रतिमा स्थापित करें।
- इस दिन बाल गोपाल की अपने बेटे की तरह सेवा करें। उन्हें झूला झुलाएं।
- लड्डू और खीर का भोग लगाएं। रात 12 बजे के करीब भगवान कृष्ण की विधि विधान पूजा करें।
- उन्हें घी, मिश्री, माखन, खीर इत्यादि चीजों का भोग लगाएं। कृष्ण जी के जन्म की कथा सुने। उनकी आरती उतारें और अंत में प्रसाद सबको वितरित कर दें।
आरती कुंजबिहारी की (Krishna Janmashtami Aarti)
आरती कुंजबिहारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥
आरती कुंजबिहारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥
गले में बैजंती माला, बजावै मुरली मधुर बाला ।
श्रवण में कुण्डल झलकाला, नंद के आनंद नंदलाला ।
गगन सम अंग कांति काली, राधिका चमक रही आली ।
लतन में ठाढ़े बनमाली भ्रमर सी अलक, कस्तूरी तिलक,
चंद्र सी झलक, ललित छवि श्यामा प्यारी की,
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥ ॥ आरती कुंजबिहारी की…॥
कनकमय मोर मुकुट बिलसै, देवता दरसन को तरसैं ।
गगन सों सुमन रासि बरसै । बजे मुरचंग, मधुर मिरदंग,
ग्वालिन संग, अतुल रति गोप कुमारी की, श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की ॥
॥ आरती कुंजबिहारी की…॥
जहां ते प्रकट भई गंगा, सकल मन हारिणि श्री गंगा ।
स्मरन ते होत मोह भंगा बसी शिव सीस,
जटा के बीच, हरै अघ कीच, चरन छवि श्रीबनवारी की,
श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की ॥
॥ आरती कुंजबिहारी की…॥
चमकती उज्ज्वल तट रेनू, बज रही वृंदावन बेनू ।
चहुं दिसि गोपि ग्वाल धेनू हंसत मृदु मंद, चांदनी चंद,
कटत भव फंद, टेर सुन दीन दुखारी की,
श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की ॥ ॥ आरती कुंजबिहारी की…॥
आरती कुंजबिहारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥
आरती कुंजबिहारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥
Kunj Bihari/Krishna Aarti Lyrics English PDf
Aarti Kunj Bihari Ki
Shri Girdhar Krishna Murari Ki
Aarti Kunj Bihari Ki
Shri Girdhar Krishna Murari Ki
Gale Mein Baijanti Mala,
Bajave Murali Madhur Bala.
Shravan Mein Kundal Jhalakala,
Nand Ke Anand Nandlala.
Gagan Sam Ang Kanti Kali,
Radhika Chamak Rahi Aali.
Latan Mein Thadhe Banamali
Bhramar Si Alak, Kasturi Tilak,Chandra Si Jhalak
Lalit Chavi Shyama Pyari Ki,
Shri Giradhar Krishna Muraari Ki
Aarti Kunja Bihari Ki
Kanakmay Mor Mukut Bilse,
Devata Darsan Ko Tarse
Gagan So Suman Raasi Barse
Baje Murchang, Madhur Mridang, Gwaalin Sang
Atual Rati Gop Kumaari Ki
Shri Giradhar Krishna Murari Ki
Aarti Kunja Bihari Ki
Jahaan Te Pragat Bhayi Ganga,
Kalush Kali Haarini Shri Ganga,
Smaran Te Hot Moh Bhanga
Basi Shiv Shish, Jataa Ke Biich, Harei Agh Kiich
Charan Chhavi Shri Banvaari Ki.
Shri Giradhar Krishna Muraari Ki
Aarti Kunja Bihari Ki
Chamakati Ujjawal Tat Renu,
Baj Rahi Vrindavan Benu
Chahu Disi Gopi Gwaal Dhenu
Hansat Mridu Mand, Chandani Chandra, Katat Bhav Phand
Ter Sun Diin Bhikhaarii Kii
Shri Giradhar Krishnamuraari Ki
Aarti Kunja Bihari Ki
Aarti Kunj Bihari Ki
Shri Girdhar Krishna Murari Ki
Aarti Kunja Bihari Ki
Shri Girdhar Krishna Murari Ki
Download आरती कुंजबिहारी की | Krishna Aarti Lyrics PDF format by clicking the direct link provided below or chant online.