आंखों देखी सांच (Aankhon Dekhi Sanch)
ओशो का एक प्रमुख प्रवचन है जिसमें उन्होंने सत्य और अनुभव के महत्व पर प्रकाश डाला है। ओशो कहते हैं कि वास्तविक सत्य वही है जिसे आपने स्वयं अनुभव किया हो, जिसे आपने अपनी आँखों से देखा हो। दूसरों के अनुभव, सुनी-सुनाई बातें, या धार्मिक ग्रंथों में लिखी बातें आपके लिए तब तक सत्य नहीं हो सकतीं जब तक आप उन्हें स्वयं अनुभव न कर लें।
पुस्तक का विवरण: मैं सोचा था, क्या आप कहूं? कौन सी आपकी खोज है? क्या जीवन में आप चाहते हैं? ख्याल आया, उस संबंध में थोड़ी आप बत्त करूण तो उपयोगी होगा। मेरे देखे, जो हम पाना चाहते हैं से छोडकर और हम सब पाने के लिए कराटे हैं। इसली जीवन में दुख और पिदा फलित होते हैं….
Aankhon Dekhi Sanch by Osho
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अनुभव का महत्व: ओशो बताते हैं कि जीवन में केवल वही सच है जिसे आप खुद अनुभव करते हैं। दूसरों की कही बातों या किताबों से पढ़ी गई बातों पर आंख मूंदकर विश्वास नहीं करना चाहिए। हमें खुद सत्य का अनुभव करना चाहिए।
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सत्य की खोज: ओशो के अनुसार, हर व्यक्ति को अपने जीवन में सत्य की खोज करनी चाहिए। इस खोज में आप जो भी अनुभव करते हैं, वही आपका सच्चा ज्ञान होता है। बिना अनुभव के कोई भी जानकारी सिर्फ़ बौद्धिक ज्ञान है, वह सच नहीं हो सकता।
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स्वतंत्र सोच: ओशो ने हमेशा स्वतंत्र सोच और व्यक्तिगत अनुभव पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि हमें दूसरों के विचारों और मान्यताओं को बिना सोचे-समझे स्वीकार नहीं करना चाहिए। जब तक हम स्वयं किसी चीज़ का अनुभव न करें, वह हमारे लिए सच नहीं हो सकती।
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आध्यात्मिकता और विज्ञान: ओशो ने इस प्रवचन में यह भी बताया कि आध्यात्मिकता और विज्ञान दोनों ही सत्य की खोज के रास्ते हैं। दोनों का लक्ष्य सत्य की खोज है, परंतु इनका तरीका अलग है। आध्यात्मिकता अनुभव पर आधारित है, जबकि विज्ञान प्रयोग और तर्क पर।
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