Chai Si Mohabbat Book
चाय और मोहब्बत दोनों की तासीर गर्म होती है पर दोनों ही रूह में ताज़गी और ठंडक भरती हैं। ये कविताएँ और इनका कवि कैसा है यह फ़ैसला तो सुधी पाठक करेंगे पर यह आपके ज़ेहन को मोहब्बत से सराबोर करेंगी ऐसा मेरा विश्वास है। जब हम कविता रचने या चाय बनाने की प्रक्रिया में होते हैं तब हमें उसके स का पता नहीं होता। ज़िन्दगी में और मोहब्बत में भी ठीक वैसा ही होता है, जब हम प्यार में होते हैं तो बस होते हैं। उसके स से बेपरवाह अनजान। चाय पी लेने और ज़िन्दगी जी लेने के बाद जो बचता है वही उसका असली हासिल है।
अबतक की ज़िन्दगी का हासिल, आप सबों की इबादतों का जो हासिल है उसे बड़े जतन से सहेजकर आज आपके हवाले करता हूँ।
मोहब्बत के नाम पर कितना कुछ किया जाता है या मोहब्बत अपनी क़समें देकर क्या-क्या करा लेती है, मेरे साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ है जैसा आप सबके साथ होता है। फ़र्क़ बस यही है कि मैं उसे पन्ने पर रख लेता हूँ। बाद में सारे पन्ने जोड़कर ‘उसे’ वापस करता हूँ और लोग समझते हैं कि मैंने किताब लिखी है। आप जब ‘चाय-सी मोहब्बत’ को सीने पर रखकर या गोद में छुपाकर पढ़ेंगे तो आप मोहब्बत की गरमाहट को महसूस करेंगे।