सम्राट अशोक का सही इतिहास PDF

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सम्राट अशोक का सही इतिहास

सम्राट अशोक का सही इतिहास

चक्रवर्ती सम्राट अशोक का सही इतिहास सम्राट अशोक (Samrat Ashok) के बारे में जानने का एक महत्वपूर्ण विषय है। उनका जन्म 273 ईसा पूर्व में पाटलिपुत्र, जो आज के पटना के नाम से जाना जाता है, में हुआ था। उस समय पाटलिपुत्र मगध साम्राज्य का हिस्सा था और एक प्रमुख शहर था। सम्राट अशोक रानी धर्मा और राजा बिंदुसार के पुत्र थे। श्रीलंका की परंपरा के अनुसार, बिंदुवार की 16 पटरानियों और 101 पुत्रों का उल्लेख है, लेकिन ऐतिहासिक प्रमाण के अनुसार, उनके केवल तीन पुत्रों के नाम ही मिलते हैं: सुसीम, अशोक, और तिष्य।

एक पुरानी कहानी के अनुसार, रानी धर्मा ने एक सपना देखा था जिसमें उन्हें बताया गया था कि उनका पुत्र एक महान सम्राट बनेगा। इस सपने के बाद उनकी शादी राजा बिंदुसार से हुई। रानी धर्मा क्षत्रिय कुल से नहीं थीं, लेकिन सम्राट अशोक महान बचपन से ही युद्धक्षेत्र में भाग लेते थे और अपने कौशल में निपुण थे। लगभग 2000 वर्ष पहले, सम्राट अशोक द्वारा खुदवाया गया चिह्न, जिसे आज अशोक चिह्न के नाम से जाना जाता है, अब भारत का राष्ट्रीय चिन्ह है और यह भारत के तिरंगे के मध्य में स्थित है।

सम्राट अशोक का साम्राज्य

सम्राट अशोक का साम्राज्य उत्तर में हिंदूकुश पर्वत से लेकर दक्षिण में गोदावरी नदी के क्षेत्र और मैसूर तक फैला हुआ था। पूर्व में यह बांग्लादेश से लेकर पश्चिम में अफगानिस्तान और ईरान तक विस्तार किए हुए था। अगर हम आज के दृष्टिकोण से देखें तो सम्राट अशोक के साम्राज्य में ना केवल पूरा भारत शामिल था, बल्कि अफगानिस्तान, नेपाल, पाकिस्तान, भूटान, म्यांमार और बांग्लादेश का भी अधिकांश भाग शामिल था।

महान सम्राट का कार्यकाल

जब भी दुनिया के सबसे शक्तिशाली और महान राजाओं का जिक्र होता है, मौर्य साम्राज्य के तीसरे राजा सम्राट अशोक का नाम प्रमुखता से आता है। सम्राट अशोक (Chakravarti Samrat Ashok) को भारत के सबसे शक्तिशाली सम्राटों में से एक माना जाता है। सम्राट अशोक का साम्राज्य विस्तार उस समय तक्षशिला में बहुत बड़ी जनसंख्या के बीच था।

सम्राट अशोक के बड़े भाई सुसीम उस समय तक्षशिला के प्रांतपाल थे। सुसीम की प्रशासनिक क्षमता सीमित थी, जिसके कारण वहाँ बड़ा विद्रोह हो गया। जब राजा बिंदुसार ने महसूस किया कि सुसीम विद्रोह को संभाल नहीं पा रहा, तब उन्होंने सम्राट अशोक को मदद के लिए तक्षशिला भेजा। सम्राट अशोक अपनी युद्ध कौशल और प्रभाव से पहले ही विद्रोहियों को शांत करने में सफल रहे।

यह बिना युद्ध के खत्म होने वाला पहला विद्रोह था। सम्राट अशोक के बढ़ते प्रभाव से उनके बड़े भाई सुसीम घबरा गए और उन्होंने सम्राट अशोक को कलिंग भेजने का आग्रह किया। कहा जाता है कि कलिंग जाकर सम्राट अशोक को वहां की एक प्रतिष्ठित व्यक्ति की पुत्री, मत्स्यकुमारी कौर्वकी से प्रेम हो गया, जो बाद में एक प्रेम विवाह में बदल गया।

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