मानवाधिकार PDF

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मानवाधिकार

मानवाधिकार

मानवाधिकार के तहत व्यक्ति को जीवन, स्वतंत्रता, समानता और सम्मान हासिल होते हैं। हर व्यक्ति को मानवाधिकारों का यह मौलिक अधिकार मिलता है जो मनुष्य के जीवन का अभिन्न हिस्सा है। संविधान में बनाए गए अधिकारों से अधिक महत्वपूर्ण मानवाधिकारों को माना जाता है। मानवाधिकार में आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक अधिकार शामिल हैं, साथ ही नागरिक और राजनीतिक अधिकार जैसे समानता का अधिकार और शिक्षा का अधिकार भी इसमें आते हैं।

मानवाधिकार नैतिक सिद्धांत हैं जो मानव व्यवहार के लिए कुछ प्रमुख मानकों को निर्धारित करते हैं। ये मानवाधिकार कानूनों द्वारा रक्षा करते हैं, चाहे वे स्थानीय हों या अंतरराष्ट्रीय। ये अधिकार आमतौर पर ‘आधारभूत अधिकार’ कहलाते हैं और इन्हें ‘न छीने जाने योग्य’ माना जाता है। यह मान्यता है कि ये सभी अधिकार व्यक्ति के जन्मजात होते हैं। किसी व्यक्ति की आयु, जातीयता, निवास स्थान, भाषा, धर्म आदि का इन अधिकारों पर कोई असर नहीं पड़ता। ये अधिकार हर समय और जगह में उपलब्ध हैं और सभी के लिए समान हैं।

मानवाधिकार in Hindi

  • संक्षेप में, मानवाधिकार हर व्यक्ति का नैसर्गिक या प्राकृतिक अधिकार होते हैं जिसमें जीवन, स्वतंत्रता, समानता और मान-सम्मान का अधिकार शामिल है। इसके साथ-साथ गरिमामय जीवन जीने का अधिकार, सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक अधिकार भी इसमें सम्मिलित हैं।
  • संयुक्त राष्ट्र द्वारा बनाए गए मानवाधिकार संबंधी घोषणापत्र में यह उल्लेख किया गया है कि मानव के बुनियादी अधिकार किसी भी जाति, धर्म, लिंग, समुदाय, या भाषा से परे होते हैं। मौलिक अधिकार, जो कि देश के संविधान में दर्ज हैं, ये अधिकार देश के नागरिकों और यहाँ रहने वाले सभी लोगों को प्रदान किए जाते हैं।
  • यहाँ एक महत्वपूर्ण बात यह है कि कुछ मौलिक अधिकार मानवाधिकारों के अंतर्गत भी आते हैं, जैसे कि जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार।

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग

भारत ने मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम, 1993 के तहत राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग और राज्य मानवाधिकार आयोगों का गठन किया है ताकि मानवाधिकारों के उल्लंघनों से निबटने का एक मंच प्रदान किया जा सके।

  • भारत में मानवाधिकारों की रक्षा के लिए राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग सबसे महत्वपूर्ण संस्था है, जिसके अध्यक्ष उच्चतम न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश होते हैं। यह राष्ट्रीय मानवाधिकारों के वैश्विक गठबंधन का हिस्सा है और एशिया-पेसिफिक फोरम का संस्थापक सदस्य भी है। NHRC को मानवाधिकारों के संरक्षण और संवर्धन का अधिकार प्राप्त है।
  • मानवाधिकार संरक्षण अधिनियम, 1993 की धारा 12(ज) में यह प्रावधान किया गया है कि NHRC समाज में मानवाधिकार साक्षरता बढ़ाने का काम करेगा और विभिन साधनों जैसे प्रकाशनों, मीडिया, सेमिनारों आदि के जरिए मानवाधिकारों की सुरक्षा के उपायों के बारे में जागरूकता फैलाएगा।
  • यह आयोग समय-समय पर आम नागरिकों, बच्चों, महिलाओं, वृद्धजनों और LGBT समुदाय के अधिकारों की रक्षा के लिए सरकार को सलाह देता है और कई सिफारिशों पर सरकार ने संविधान में उचित संशोधन भी किए हैं।

भारत में मानवाधिकारों की स्थिति

भारत, जो कि एक विशाल और विविधतापूर्ण देश है, की मानवाधिकार स्थिति जटिल हो गई है। इसका कारण भारतीय संविधान का मौलिक अधिकारों का प्रावधान और पहले के औपनिवेशिक इतिहास हैं।

  • भारत का संविधान मौलिक अधिकार प्रदान करता है, जिसमें धार्मिक स्वतंत्रता शामिल है। इनमें से कई अधिकारों का दुरुपयोग करते हुए अक्सर सांप्रदायिक दंगे होते हैं, जिससे केवल एक धर्म के लोगों के अधिकारों का हनन नहीं होता, बल्कि उन सभी के मानवाधिकार आहत होते हैं जो इन घटनाओं के शिकार बनते हैं, जैसे बच्चे और गरीब लोग।
  • कुछ राज्यों में AFSPA जैसे कानून हटाए गए हैं क्योंकि इनका दुरुपयोग हुए मामलों की संख्या बढ़ गई थी। उदाहरण के तौर पर, बिना वारंट के किसी के घर में प्रवेश करना और असंदिग्ध व्यक्तियों को बिना किसी कारण गिरफ्तार करना।
  • आज़ादी के वर्षों बाद भी यह सवाल उठता है कि क्यों भारत में मानवाधिकार अभी भी कई प्रकार की प्रताड़ना का सामना कर रहे हैं। इस संदर्भ में यह जानना आवश्यक है कि NHRC किन चुनौतियों का सामना कर रहा है।

मानव अधिकार के प्रकार

  • प्राकृतिक अधिकार: मनुष्य अपने जन्म से ही कुछ अधिकार लेकर आता है, जो उसे प्रकृति से मिलते हैं। जैसे जीवित रहने का अधिकार और स्वतंत्र रूप से विचरण करने का अधिकार।
  • नैतिक अधिकार: ये अधिकार समाज के विवेक से जन्म लेते हैं और मानव के नैतिक आचरण से संबंधित होते हैं। ये राज्य द्वारा संरक्षित नहीं होते हैं, और इनका पालन व्यक्तिगत इच्छा पर निर्भर होता है।
  • कानूनी अधिकार: यह अधिकार राज्य द्वारा कानून के तहत व्यवस्था के अनुसार दी जाती हैं। उनका उल्लंघन कानूनी दंड का कारण बनता है।
  • नागरिक अधिकार: ये अधिकार मानव को राज्य का सदस्य होने के नाते मिलते हैं, और इन अधिकारों के माध्यम से व्यक्ति शासन प्रबंध में भाग ले पाता है।
  • मौलिक अधिकार: इनका प्रावधान संवैधानिक लोकतंत्र में किया जाता है, जिससे व्यक्ति की स्वतंत्रता और विकास सुनिश्चित होता है।
  • आर्थिक, सामाजिक एवं सांस्कृतिक अधिकार: इसलिए मनुष्य, जो समाज का हिस्सा है, इन सभी अधिकारों का लाभ उठाता है।

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