कसप उपन्यास (Kasap Book)
कसप किताब (Kasap Book) मनोहरश्याम जोशी द्वारा रचित एक उपन्यास जो एक प्रेम-कथा है। ‘कसप’ को प्रेमाख्यानों में अज्ञेय के उपन्यास ‘नदी के द्वीप’ के बाद की सबसे बड़ी उपलब्धि कहा है। ‘कसप’ मूलतः एक ऐसा उपन्यास है जिसमें मध्यवर्गीय मानसिकता, कुलांचे भरती है। इसका दार्शनिक ढाँचा भी मध्यमवर्गीय यथार्थ पर टिका है। यही वह बिन्दु है जहाँ ‘कसप’ अपने तेवर में ‘नदी के द्वीप’ से अलग ठहरता है। ‘नदी के द्वीप’ का तेवर बौद्धिक और उच्चवर्गीय है, जबकि ‘कसप’ एक ऐसा प्रेमाख्यान है जिसमें ‘दलिद्दर’ से लेकर ‘दिव्य’ तक का स्वर ‘मध्य’ पर ही ठहरता है और इस उपन्यास को सरसता, भावुकता और ग़ज़ब की पठनीयता से लवरेज करता है।
इस उपन्यास में मध्यवर्गीय जीवन की टीस को अपने पंडिताऊ परिहास में ढालकर एक प्राध्यापक ने मानवीय प्रेम को स्वप्न और स्मृत्याभास के बीचोबीच ‘फ्रीज’ कर दिया है। 1910 के काशी से लेकर 1980 के हॉलीवुड तक की अनुगूँजों से भरा, गँवई, अनाथ, भावुक साहित्य-सिनेमा अनुरागी लड़के और काशी के समृद्ध शास्त्रियों की सिरचढ़ी, खिलन्दड़, दबंग लड़की के संक्षिप्त प्रेम की विस्तृत कहानी सुनानेवाला यह उपन्यास एक विचित्र-सा उदास-उदास, मीठा-मीठा-सा प्रभाव मन पर छोड़ता है। ऐसा प्रभाव जो ठीक कैसा है, यह पूछे जाने पर एक ही उत्तर सूझता है – ‘कसप!…और कुमाऊँनी में ‘कसप’ का मतलब होता है – ‘पता नहीं!’