Kalika Puran (कालिका पुराण)
Kalika Puran (कालिका पुराण) को काली पुराण, सती पुराण या कालिका तंत्र भी कहा जाता है। यह पाठ देवी की किंवदंतियों के साथ शुरू होता है जो शिव को तपस्वी जीवन से वापस लाने की कोशिश कर रहे हैं, जिससे उन्हें फिर से प्यार हो जाए लूडो रोचर के अनुसार, मार्कंडेय वर्णन करते है कि कैसे ब्रह्मा, शिव और विष्णु “एक ही” हैं और सभी देवी (सती, पार्वती, मेनका, काली और अन्य) एक ही स्त्री की अभिव्यक्ति हैं।
मार्कण्डेय पुराण के सप्तशती खण्ड में जिन काली देवी का वर्णन है अथवा जिनका जन्म अम्बिका के ललाट से हुआ है वे काली श्री दुर्गा जी के स्वरूपों में से ही एक स्वरूप है तथा आद्या महाकाली से सर्वथा भिन्न है। भगवती आद्या काली अथवा दक्षिणा काली अनादिरूपा सारे चराचर की स्वामिनी हैं जबकि पौराणिक काली तमोगुण की स्वामिनी हैं। दक्षिण दिशा में रहने वाला अर्थात् सूर्य का पुत्र यम काली का नाम सुनते ही डरकर भाग जाता है तथा काली उपासकों को नरक में ले जाने की सामर्थ्य उसमें नहीं है इसलिए श्री काली को ‘दक्षिणा काली’ और ‘दक्षिण कालिका’ भी कहा जाता है। दस महाविद्याओं में काली सर्वप्रधान हैं। अतः इन्हें महाविद्या भी कहा जाता है। दक्षिणामूर्ति भैरव ने ही इनकी सर्वप्रथम आराधना की इसलिए भी इनका नाम दक्षिणा काली है। पुरुष को दक्षिण और नारी को वामा कहा जाता है। वही स्त्रीरूपी ‘वामा ‘दक्षिण’ पर विजय पाकर मोक्ष प्रदायिनी बनी। इसलिए उन्हें तीनों लोकों में ‘दक्षिणा’ कहा जाता है। श्री काली की उपासना से समस्त विघ्न उसी प्रकार नष्ट हो जाते हैं जिस प्रकार प्रज्जवलित अग्नि में सभी पतंगे भस्म हो जाते हैं।
Kalika Puran in Hindi (कालिका पुराण)
कालिका पुराण का पाठ करने वाले साधक की वाणी गंगा के प्रवाह की भाँति गद्य-पद्यमयी हो जाती है। और उसके दर्शन मात्र से ही प्रतिवादी लोग निष्प्रभ हो जाते हैं। उसके हाथ में सभी सिद्धियाँ बनी रहती हैं इसमें संदेह नहीं है। मार्गशीर्ष मास की कृष्णपक्ष की अष्टमी कालाष्टमी होती है जो उपासक इस दिन काली की सन्निधि में उपवास कर जागरण करते हैं, वे सभी पापों से मुक्त हो जाते हैं। सात अंगुल से लेकर बाहर अंगुल तक की प्रतिमा घर पर रखने का शास्त्रों का मत है।
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