मंत्र योग (Mantra Yoga)
मंत्र योग का यह सिद्धांत है । की परमात्मा से भाव , भाव के नाम रूप और उसका विकार तथा विलासमय यह संसार है ,इसलिए जिस क्रम से स्राष्टि हुई है उसके विपरीत मार्ग से ही लय होगा । ये निश्चित है । यह योग विविध ध्यान तकनीकों का एक संग्रह है जो मन, शरीर और आत्मा को संतुलित करने का उद्देश्य रखता है।
मंत्र योग, जिसे मंत्रों की जाप और ध्यान के माध्यम से मन की शांति और ध्यान की स्थिति को प्राप्त करने का एक शाखा माना जाता है। इस योग का मुख्य ध्येय है मंत्रों के आवाज़ या मानसिक जाप के माध्यम से मन की एकाग्रता और ध्यान की स्थिति को प्राप्त करना। यह योग ध्यान की एक प्राचीन विधि है, जिसमें व्यक्ति मंत्रों के जाप और उनकी ध्यान विधि के माध्यम से अपने मन को नियंत्रित करता है और अंततः आत्मज्ञान और आत्मा के साथ संयोग प्राप्त करता है।
मंत्र योग के प्रकार
तीनों का सही अनुपात मंत्र शक्ति को बढ़ा देता है। मंत्रजप मुख्यरूप से चार प्रकार से किया जाता है।
- वाचिक
- मानसिक
- उपांशु
- अजप्पा ।
मंत्र योग के फायदे
- मानसिक शांति: मंत्र योग के अभ्यास से मानसिक शांति और स्थिरता में सुधार होता है। मंत्रों के जाप के द्वारा मन को अधिक शांत और संयमित बनाया जा सकता है।
- ध्यान में स्थिरता: मंत्र योग के अभ्यास से ध्यान में स्थिरता का अनुभव होता है। मंत्रों के जाप के माध्यम से मन को एकाग्र किया जाता है और ध्यान की स्थिति में पहुंचने में मदद मिलती है।
- तनाव का कम होना: मंत्र योग के अभ्यास से तनाव कम होता है और मानसिक संतुलन बढ़ता है। यह मन को शांति और सकारात्मकता की दिशा में ले जाता है।
- बुद्धि की वृद्धि: मंत्र योग के अभ्यास से मानसिक क्लीयरिटी और बुद्धि की वृद्धि होती है। मंत्रों के जाप के द्वारा मन को संयमित किया जाता है और बुद्धि को शांति और अधिक जागरूकता मिलती है।
- आत्म-समर्पण: मंत्र योग के अभ्यास से आत्म-समर्पण की भावना विकसित होती है। यह व्यक्ति को अपने आत्मा के साथ संयोग में ले जाता है और उसे अपने असली स्वरूप को समझने की दिशा में ले जाता है।