लिंगाष्टकम (Lingashtakam)
लिंगाष्टकम स्तोत्र सावन में भगवान शिव को खुश करने का सबसे आसन तरीका है। लिंगाष्टक स्तोत्र के विषय में शास्त्रों के ऐसा वर्णन मिलता है कि जो मनुष्य इसका श्रवण करता है उसे हर मुश्किल में भी सबकुछ आसान लगता है। Lingashtakam मन्त्र को शिवरात्रि के रातो के समय पढ़ना अत्यधिक शुभ मानते है। ऐसा कहा जाता है की जो शिव भक्त इस दिव्य मन्त्र को पूर्ण भक्ति के साथ शिव लिंग की पूजा करते समय जप करेंगे उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है। लोगो का ऐसा मानना है की शिव लिंगाष्ठकम के मंत्रो में सबसे पहला पद वास्तव में बहुत ही महत्वपूर्ण है, जो कुछ इस प्रकार से है।
भगवान भोलेनाथ की इस स्तुति में कुल आठ श्लोक हैं। इस अष्टपदी श्लोक के माध्यम से व्यक्ति भगवान शिव की आराधना पर मनचाहा वरदान का आशीर्वाद प्राप्त कर सकता है। कहते हैं कि सावन जो कोई लिंगाष्टकम स्तोत्र का केवल श्रवण मात्र करता है उसके सारे कष्ट क्षण मात्र में नष्ट हो जाते हैं। इतना ही नहीं इस स्तोत्र की महिमा तीनों लोकों में व्याप्त है।
(लिङ्गाष्टकम्) Lingashtakam Stotram Lyrics with Hindi Translation
ब्रह्ममुरारि सुरार्चित लिंगं निर्मलभासित शोभित लिंगम् ।
जन्मज दुःख विनाशक लिंगं तत्-प्रणमामि सदाशिव लिंगम् ॥ १ ॥
हिन्दी अर्थ: हम उन सदाशिव लिंग को प्रणाम करते हैं। जिनकी ब्रह्मा विष्णु एवं देवताओं द्वारा भी अर्चना की जाती है आप सदैव निर्मल भाषाओं द्वारा पुजित हैं और जो लिंग जन्म-मृत्यू के चक्र का विनाश करता है (सभी को मोक्ष प्रदान कराता है)
देवमुनि प्रवरार्चित लिंगं कामदहन करुणाकर लिंगम् ।
रावण दर्प विनाशन लिंगं तत्-प्रणमामि सदाशिव लिंगम् ॥ २ ॥
हिन्दी अर्थ: सभी देवताओं और मुनियों द्वारा पुजित लिंग जो काम का दमन करता है तथा करूणामयं भगवान् शिव का स्वरूप है जिसके द्वारा रावण के अभिमान का भी नाश हुआ उन सदाशिव लिंग को मैं प्रणाम करता हूँ।
सर्व सुगंध सुलेपित लिंगं बुद्धि विवर्धन कारण लिंगम् ।
सिद्ध सुरासुर वंदित लिंगं तत्-प्रणमामि सदाशिव लिंगम् ॥ ३ ॥
हिन्दी अर्थ: जो सभी प्रकार के सुगंधित पदार्थों द्वारा सुलेपित लिंग है जो कि बुद्धि का विकास करने वाला है तथा सिद्ध- सुर (देवताओं) एवं असुरों सभी के लिए वन्दित है उन सदाशिव लिंग को हमारा प्रणाम।
कनक महामणि भूषित लिंगं फणिपति वेष्टित शोभित लिंगम् ।
दक्ष सुयज्ञ निनाशन लिंगं तत्-प्रणमामि सदाशिव लिंगम् ॥ ४ ॥
हिन्दी अर्थ: जो स्वर्ण एवं महामणियों से विभूषित एवं सर्पों के स्वामी से शोभित सदाशिव लिंग तथा जो कि दक्ष के यज्ञ का विनाश करने वाला है।आपको हमारा प्रणाम।
कुंकुम चंदन लेपित लिंगं पंकज हार सुशोभित लिंगम् ।
संचित पाप विनाशन लिंगं तत्-प्रणमामि सदाशिव लिंगम् ॥ ५ ॥
हिन्दी अर्थ: लिंग जो कुंकुम एवं चन्दन से सुशोभित है। कमल हार से सुशोभित है। सदाशिव लिंग जो कि हमें सारे संञ्चित पापों से मुक्ति प्रदान करने वाला है उन सदाशिव लिंग को हमारा प्रणाम।
देवगणार्चित सेवित लिंगं भावै-र्भक्तिभिरेव च लिंगम् ।
दिनकर कोटि प्रभाकर लिंगं तत्-प्रणमामि सदाशिव लिंगम् ॥ ६ ॥
हिन्दी अर्थ: सदाशिव लिंग को हमारा प्रणाम जो सभी देवों एवं गणों द्वारा शुद्ध विचार एवं भावों के द्वारा पुजित है तथा करोडों सूर्य सामान प्रकाशित हैं।
अष्टदलोपरिवेष्टित लिंगं सर्वसमुद्भव कारण लिंगम् ।
अष्टदरिद्र विनाशन लिंगं तत्-प्रणमामि सदाशिव लिंगम् ॥ ७ ॥
हिन्दी अर्थ: आठों दलों में मान्य तथा आठों प्रकार के दरिद्रता का नाश करने वाले सदाशिव लिंग जो सभी प्रकार के सृजन के परम कारण हैं आप सदाशिव लिंग को हमारा प्रणाम।
सुरगुरु सुरवर पूजित लिंगं सुरवन पुष्प सदार्चित लिंगम् ।
परात्परं परमात्मक लिंगं तत्-प्रणमामि सदाशिव लिंगम् ॥ ८ ॥
हिन्दी अर्थ: देवताओं एवं देव गुरू द्वारा स्वर्ग के वाटिका के पुष्पों द्वारा पुजित परमात्मा स्वरूप जो कि सभी व्याख्याओं से परे है उन सदाशिव लिंग को हमारा प्रणाम।
लिंगाष्टकमिदं पुण्यं य: पठेत् शिवसन्निधौ ।
शिवलोकमवाप्नोति शिवेन सह मोदते ॥९॥
हिन्दी अर्थ: जो कोई भी भगवान शिव की उपस्थिति के साथ शिवलिंग की स्तुति में इन आठ श्लोकों का पाठ करता है, वह शिव के उस परम धाम को प्राप्त करता है और उसके साथ चिरस्थायी आनंद का आनंद लेता है!
लिंगाष्ठकम का पाठ के लाभ – Lingashtakam Path Benefits
- शिवलिंग भगवान शंकर का ही स्वरूप है, जो शिव भक्त है वो शिवलिंग की पूजा जरुर करता है, और लिंगाष्ठकम शिवलिंग की स्तुति करने का और शिवभक्तो के मनोकामना पूरा करने का सर्वोतम और लोकप्रिय अष्टक है।
- इसके छंद का प्रवाह बड़ा ही मधुर है, इसका शब्द आपको देखने में बड़े बड़े लगते है, लेकिन इसे आप अलग – अलग करके पढ़े इससे आपको बहुत आसानी होती है। और आपको लगेगा किस इससे सरल कोई और मन्त्र हो ही नही सकता है।
- जो साधक पूर्ण श्रध्दा और आस्था के साथ लिंगाष्ठकम का पाठ करता है उसकी सभी मनोकामना स्वय भगवान शिव पूरी करते है। लिंगाष्ठकम के नित्य पाठ से पाप और दरिद्रता का नाश होता है। ज्ञान की वृद्धि और भगवन शिव की भक्ति प्राप्त होती है।
Lingashtakam
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