अछूत कौन और कैसे
अछूत कौन और कैसे (Achoot Kaun Aur Kaise) डॉ. भीमराव आंबेडकर द्वारा लिखी गई एक पुस्तक है। यह पुस्तक भारतीय समाज के सामाजिक और आर्थिक विकास को लेकर चिंतन और समाज को जागरूक करने के उद्देश्य से लिखी गई थी। डॉ. आंबेडकर ने इस पुस्तक में दलित समुदाय की सामाजिक, आर्थिक, और राजनीतिक स्थिति के बारे में चिंतन किया। उन्होंने दलितों के उत्थान और समृद्धि के लिए उपायों का विवरण किया और भारतीय समाज के अच्छूत वर्ग को उनके अधिकार और समानता की दिशा में मार्गदर्शन किया।
अछूत जातियाँ, जिन की जन-संख्या लगभग ५ करोड़ हैं। इन वर्गों का अस्तित्य एक जुगुप्सा का विषय है । यदि हिन्दू- सभ्यता को इन वर्गों के जनक के रूप में देखा जाये, तो वह सभ्यता ही नहीं कहला सकती । यह तो मानवता को दबाये रखने तथा गुलाम बनाने के लिये शैतान का षड्यन्त्र है। इसका ठीक नामकरण शैतानियत होना चाहिये। उस सभ्यता को और हम क्या नाम दे, जिसने ऐसे लोगों की एक बड़ी संख्या को जन्म दिया हो, जिन्हें यह शिक्षा दी जाती है कि चोरी-चकारी करके जीविका चलाना जीविकोपार्जन का एक मान्य क्रम है, दूसरी बड़ी संख्या, जो सभ्यता के बीचो-बीच अपनी आरम्भिक आवस्था बनाये रखने के लिए स्वतन्त्र छोड़ दी गई है, और एक तीसरी बढ़ी संख्या, जिसे सामाजिक व्यवहार से परे की चीज समझा गया है, जिसके स्पर्श मात्र से आदमी “अपवित्र” होता है ।
अछूत कौन और कैसे – भीमराव आम्बेडकर
- अहिन्दुओं में अछूतपन
- हिन्दुओं में अछूतपन
- अछूत गाँव से बाहर क्यों रहते हैं ?
- क्या अछूत छितरे हुए आदमा हैं ?
- क्या अन्यत्र भी ऐसा हुआ है ?
- ये बस्तियाँ अन्यन्त्र क्यों लुप्त हो गई ?
- अछूतपन का मूल नसलों की भिन्नता
- अछूतपन का आधार –पेशे
- अछूतपन का मूल- बौद्धधर्म के प्रति घृणा
- अछूतपन का मूल गौमांस खाना
- नये सिद्धान्त और कुछ प्रश्न
- क्या हिन्दुओं ने कभी गोमांस नहीं खाया ?
- अब ब्राह्मण ने गोमांस खाना क्यों छोड़ दिया ?
- ब्राह्मण शाकाहारी क्यों बन गये ?
- गो-मांसाहार ने ‘छितरे हुए आदमियों को ‘अछूत’ क्यों बना दिया ?
- ‘अपवित्र और ‘अछूत’
- छितरे हुए आदमी अछूत कब बने ?