चित्रलेखा उपन्यास
चित्रलेखा एक प्रसिद्ध हिंदी कहानी है जिसे भारतीय साहित्यकार भगवतीचरण वर्मा ने लिखा था। यह कहानी ब्राह्मण समाज के एक युवा लड़की के जीवन को घुमाती है, जो अपने सुंदरता और बुद्धि से लोगों के ध्यान आकर्षित करती है, परन्तु उसे अपनी अहंकारी और असाधारण बुद्धि के कारण अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। यह कहानी मोहन से प्यार, समाज की अनुसार विवाह, और आत्म-बोध के विभिन्न पहलुओं पर ध्यान केंद्रित करती है। इस कहानी में संघर्ष, प्यार, और मनोविज्ञान के विभिन्न मामलों को समाहित किया गया है, जिससे पाठकों को सामाजिक और मानसिक रूप से विचार करने का अवसर मिलता है।
चित्रलेखा भगवती चरण वर्मा द्वारा रचित हिन्दी उपन्यास है। यह न केवल भगवतीचरण वर्मा को ए॰ उपन्यासकार के रूप में प्रतिष्ठा दिलाने वाला पहला उपन्यास है बल्कि हिन्दी के उन विरले उपन्यासों में भी गणनीय है जिनकी लोकप्रियता काल की सीमा को लाँघती रही है।
चित्रलेखा (उपन्यास)
चित्रलेखा की कथा पाप और पुण्य की समस्या पर आधारित है। पाप क्या है? उसका निवास कहाँ है? – इन प्रश्नों का उत्तर खोजने के लिए महाप्रभु रत्नाकर के दो शिष्यों, श्वेतांक और विशालदेव, क्रमश: सामंत बीजगुप्त और योगी कुमारगिरि की शरण में जाते हैं। और उनके निष्कर्षों पर महाप्रभु रत्नांबर की टिप्पणी है, ‘‘संसार में पाप कुछ भी नहीं है, यह केवल मनुष्य के दृष्टिकोण की विषमता का दूसरा नाम है। हम न पाप करते हैं और न पुण्य करते हैं, हम केवल वह करते हैं जो हमें करना पड़ता है।